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८. [प्र.] इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससतसहस्सेसु एगमेगंसि , निरयावासंसि जहनियाए ठितीए वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता, माणोवउत्ता, मायोवउत्ता, लोभोवउत्ता? __[उ.] गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा कोहोवउत्ता १, अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य २, अहवा 卐 कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य ३, अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ते य ४, अहवा कोहोवउत्ता यम
मायोवउत्ता य ५, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ते य ६, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ता य ७। अहवा:फ़ कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य १, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ता य २, कोहोवउत्ता
य माणोवउत्ता य मायोवउत्ते य ३, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायाउवउत्ता य ४। एवं 5
कोह-माण-लोभेण वि चउ ४। एवं कोह-माया-लोभेण वि चउ ४, एवं १२। पच्छा माणेणं मायाए + लोभेण य कोहो भइयव्यो, ते कोहं अमुंचता। एवं सत्तावीसं भंगा णेयवा।।
८. [प्र. ] भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से एक-एक नारकावास में है जघन्य स्थिति में वर्तमान नारक क्या क्रोधोपयुक्त हैं, मानोपयुक्त हैं, मायोपयुक्त हैं अथवा लोभोपयुक्त हैं ? म [उ. ] गौतम ! वे सभी क्रोधोपयुक्त (क्रोधी) होते हैं १, अथवा बहुत से नारक क्रोधोपयुक्त और
एक नारक मानोपयुक्त (मानी) होता है २, अथवा बहुत से क्रोधी और बहुत से मानी होते हैं ३, अथवा : ॐ बहुत से क्रोधी और एक मायी होता है ४, अथवा बहुत से क्रोधी और बहुत से मायी होते हैं ५, अथवा म बहुत से क्रोधी और एक लोभी होता है ६, अथवा बहुत से क्रोधी और बहुत से लोभी होते हैं ७।'
अथवा बहुत से क्रोधी, एक मानी और एक मायी होता है १, बहुत से क्रोधी, एक मानी और बहुत से की ॐ मायी होते हैं २, बहुत से क्रोधी, बहुत से मानी और एक मायी होता है ३, बहुत से क्रोधी, बहुत से
मानी और बहुत से मायी होते हैं ४, इसी तरह क्रोध, मान और लोभ, (यों त्रिकसंयोग) के चार भंग,
क्रोध, माया और लोभ, (यों त्रिकसंयोग) के भी चार भंग कहने चाहिए। फिर मान, माया और लोभ के म साथ जोड़ने से चतुष्क-संयोगी आठ भंग कहने चाहिए। इसी तरह क्रोध को नहीं छोड़ते हुए (चतुष्कसंयोगी ८ भंग होते हैं) कुल २७ भंग समझ लेने चाहिए।
8. [Q.] Bhante ! Do the infernal beings with minimum life-span living in each one of the thirty hundred thousand infernal abodes in this Ratnaprabha prithvi have inclination of anger (krodhopayukta), inclination of conceit (maanopayukta), inclination of deceit (maayopayukta) and inclination of greed (lobhopayukta)? ____ [Ans.] Gautam ! They all have inclination of anger (1) [just one 5 alternative of pure anger without any combination). Or many have inclination of anger and one has that of conceit (1), or many have
inclination of anger and many have that of conceit (2), or many have i inclination of anger and one has that of deceit (3), or many have 4
inclination of anger and many have that of deceit (4), or many have inclination of anger and one has that of greed (5), or many have
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भगवतीसूत्र (१)
(120)
Bhagavati Sutra (1)
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