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अर्थाधिकार दस द्वार MEANING OF TEN ATTRIBUTES OF LIFE ६. पुढवि द्विति १ ओगाहण २ सरीर ३ संघयणमेव ४ संठाणे ५।
लेसा ६ दिट्ठी ७ णाणे ८ जोगुवओगे ९-१० य दस ठाणा ॥१४॥ ६. पृथ्वी (नरक भूमि) आदि जीवावासों में (१) स्थिति, (२) अवगाहना, (३) शरीर, (४) संहनन, (५) संस्थान, (६) लेश्या, (७) दृष्टि, (८) ज्ञान, (९) योग, और (१०) उपयोग; इन दस स्थानों (द्वारों) पर विचार करना है। ___6. In Hells (prithvi) and other abodes of living beings there are ten attributes (dvar) worth consideration-(1) Sthiti (life-span), (2) Avagahana (space occupied or physical dimension), (3) Sharira (body). (4) Samhanan (body-constitution). (5) Samsthan (body structu (6) Leshya (complexion of soul), (7) Drishti (perception), (8) Jnana (knowledge), (9) Yoga (action), and (10) Upayoga (cognition). प्रथम : स्थिति-स्थान द्वार FIRST : STHITI
७. [प्र.] इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससतसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरतियाणं केवतिया ठितिठाणा पण्णत्ता ?
[उ. ] गोयमा ! असंखेज्जा ठितिठाणा पण्णत्ता। तं जहा-जहनिया ठिती, समयाहिया जहनिया टि, दुसमयाहिया जहन्निया ठिती जाव असंखेज्जसमयाहिया जहनिया ठिती, तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिती।
७. [प्र. ] भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में एक-एक नारकावास में रहने वाले नारक जीवों के कितने स्थिति-स्थान कहे हैं ? अर्थात् एक-एक नारकावास के नारकों की कितनी आयु है ?
[उ. ] गौतम ! उनके असंख्य स्थान हैं। वे इस प्रकार हैं-जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष की है, वह एक समय अधिक, दो समय अधिक-इस प्रकार यावत् जघन्य स्थिति असंख्यात समय अधिक है तथा उसके योग्य उत्कृष्ट स्थिति भी। (ये सब मिलकर असंख्यात स्थिति-स्थान होते हैं।)
7. (Q.) Bhante ! What are said to be the counts of span of life (sthiti) of the infernal beings living in each of the thirty hundred thousand infernal abodes in this Ratnaprabha prithvi (first hell)?
[Ans.) Gautam ! They have innumerable counts. They are like this, minimum life-span is 10,000 years, one Samaya more than the minimum, two Samaya more than the minimum, ... and so on up to... innumerable Samaya more than the minimum and a maximum depending on each specific abode. (all these together make innumerable counts of life-span)
प्रथम शतक : पंचम उद्देशक
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First Shatak : Fifth Lesson
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