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__ [उ. ] हंता गोयमा ! नेरइयाउयं पि पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेइ, मणुस्साउयं पि पकरेइ, . # देवाउयं पि पकरेइ। नेरइयाउयं पकरेमाणे जहन्नेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं पलिओवमस्स 卐 असंखेज्जइभागं पकरेति। तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे जहन्नेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स * असंखेज्जइभागं पकरेइ। मणुस्साउए वि एवं चेव। देवाउयं पकरेमाणे जहा नेरइया।
२१. [प्र. ] भगवन् ! असंज्ञी जीव क्या नरक का आयुष्य उपार्जन करता है, तिर्यंचयोनिक का # आयुष्य उपार्जन करता है, मनुष्य का आयुष्य भी उपार्जन करता है या देव का आयुष्य उपार्जन करता है? म [उ. ] हाँ, गौतम ! वह नरक का आयुष्य भी उपार्जन करता है, तिर्यंच का, मनुष्य का और देव का
आयुष्य भी उपार्जन करता है। नारक का आयुष्य उपार्जन करता हुआ असंज्ञी जीव जघन्य दस हजार वर्ष का ॐ और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग का उपार्जन करता है। तिर्यंचयोनि का आयुष्य उपार्जन करता हुआ 5 + असंज्ञी जीव जघन्य अन्तर्मुहूर्त का और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग का तथा मनुष्य का आयुष्य भी ॐ इतना ही उपार्जन करता है और देव आयुष्य का उपार्जन भी नरक के आयुष्य के समान करता है। 4i 21. (Q.) Bhante ! Does a non-sentient being earn (acquire karmas
responsible for) Nairayik ayushya (life-span as non-sentient infernal being), Tiryanch ayushya (life-span as non-sentient animal), Manushya ayushya (life-span as non-sentient human being) or Dev ayushya (lifespan as non-sentient divine being)? ___[Ans.] Yes, Gautam ! It earns (acquires karmas responsible for) Nairayik ayushya (life-span as infernal being), Tiryanch ayushya (life
span as animal), Manushya ayushya (life-span as human being) and Dev 卐 ayushya (life-span as divine being) as well. While acquiring karmas
responsible for life-span as an infernal being he does so for a span of minimum ten thousand years and a maximum of innumerable fraction of a Palyopam. While acquiring those for life-span as an animal he does so
for a span of minimum Antar-muhurt and a maximum of innumerable 4i fraction of a Palyopam. While acquiring those for life-span as a human * being he does so for a span same as an animal. While acquiring those for life-span as divine being he does so for a span same as an infernal being.
२२. [प्र.] एयस्स णं भंते ! नेरइयअसण्णिआउयस्स तिरिक्खजोणियअसण्णिआउयस्स मणुस्सअसण्णिआउयस्स देवअसण्णिआउयस्स य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिए वा ?
[उ.] गोयमा ! सव्वत्थोवे देवअसण्णिआउए, मणुस्सअसण्णिआउए असंखेज्जगुणे, तिरियजोणियअसण्णिआउए असंखेज्जगुणे, नेरइयअसण्णिआउये असंखेज्जगुणे। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥
॥ पढमे सए : बितिओ उद्देसो समत्तो ॥
भगवतीसूत्र (१)
(80)
Bhagavati Sutra (1)
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