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[उ.] गौतम ! मनुष्य तीन प्रकार के होते हैं, यथा - सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि और सम्यग् - मिथ्यादृष्टि | उनमें जो सम्यग्दृष्टि हैं, वे तीन प्रकार के हैं, यथा- संयत, संयतासंयत और असंयत । उनमें जो संयत हैं, वे दो प्रकार के हैं, यथा-सरागसंयत और वीतरागसंयत । उनमें जो वीतरागसंयत हैं, वे क्रियारहित हैं, तथा जो सरागसंयत हैं, वे भी दो प्रकार के हैं, जैसे- प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत । उनमें जो अप्रमत्तसंयत हैं, उन्हें एक मायाप्रत्यया क्रिया लगती है। उनमें जो प्रमत्तसंयत हैं, उन्हें दो क्रियाएँ लगती हैं - आरम्भिकी और मायाप्रत्यया । तथा उनमें जो संयतासंयत हैं, उन्हें आदि की तीन क्रियाएँ लगती हैंआरम्भिकी, पारिग्रहिकी और मायाप्रत्यया । असंयतों को चार क्रियाएँ लगती हैं-आरम्भिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया और अप्रत्याख्यानी क्रिया । मिथ्यादृष्टियों को पाँचों क्रियाएँ लगती हैंआरम्भिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया, अप्रत्याख्यानी क्रिया और मिथ्यादर्शनप्रत्यया । सम्यग्मिथ्यादृष्टियों को भी ये पाँचों क्रियाएँ लगती हैं।
[Q. 2] Bhante ! Do all human beings have the same activities (kriya ) ? [Ans.] Gautam ! That is not possible.
[Q.] Bhante ! Why do you say so ?
[Ans.] Gautam ! Human beings are said to be of three kinds — Samyagdrishti (righteous ), Mithyadrishti (unrighteous) and Samyagmithyadrishti (mixed). The Samyagdrishti (righteous) are of three kinds-samyat (disciplined), samyatasamyat (disciplined-cumindisciplined) and asamyat (indisciplined). Of these the samyat are of two kinds-saragasamyat (disciplined with attachment) and vitaragasamyat (disciplined and detached). The vitaragasamyat are devoid of action and the saragasamyat are again of two kindspramattasamyat (accomplished but negligent), and apramattasamyat (accomplished and alert ). The apramattasamyat (accomplished and alert ) have only one activity, maayapratyayaa. The pramattasamyat (accomplished but negligent) have two activities-arambhiki and maayapratyayaa. The samyatasamyat have first three activities— arambhiki, paarigrahiki and maayapratyayaa. The asamyat have four activities-arambhiki, paarigrahiki, maayapratyayaa and apratyakhyana kriya. The Mithyadrishti (unrighteous) have all the five activities—arambhiki, paarigrahiki, maayapratyayaa, apratyakhyana kriya mithyadarshanapratyayaa. The Samyag-mithyadrishti (mixed) too have all these five activities.
११. वाणमंतर - जोतिस - वेमाणिया जहा असुरकुमारा ( सु. ६ ) | नवरं वेयणाए नाणत्तंमायिमिच्छादिट्ठीउववन्नगा य अप्पवेदणतरागा, अमायिसम्मद्दिट्ठीउववन्नगा य महावेयणतरागा भाणियव्वा जोतिस - वेमाणिया ।
प्रथम शतक: द्वितीय उद्देशक
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First Shatak: Second Lesson
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