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________________ श्रेणिक भवन के भीतर गया और नंदा को सब बताकर कहा मेरे पिता जी अंतिम शय्या पर पड़े मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं तुरन्त जाना पड़ेगा। स्वामी मैं भी आपके साथ चलूँगी। श्रेणिक ने एक पत्र देते हुये कहा Cummi DANGGOT यह पत्र सुरक्षित रखना इसमें मैंने अपना सब नाम-पता लिख दिया है। toternational राजकुमार श्रेणिक श्रेणिक ने समझाया ऐसी स्थिति में प्रस्थान करना तुम्हारे लिए उचित नहीं है। STA मैं यहाँ आपके बिना कैसे रहूँगी ? फिर आप का पुत्र होगा वह पूछेगा तो क्या कहूँगी ? आपने आज तक अपना कुछ भी परिचय नहीं बताया। www CO 31 For Private & Personal Use Only 1000 नंदा और कुछ पूछती, तब तक श्रेणिक घर से बाहर निकल गया। नंदा ने पत्र पढ़ा मैं राजगृह नगर का गोपाल हूँ। नगर में सबसे ऊँचे स्थान पर सफेद महल पर ध्वजा फहराती देख लेना वहीं मेरा आवास है। पत्र में लिखी बात नन्दा की समझ में नहीं आई। www.jalnelibrary.org
SR No.002815
Book TitleRajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Original Sutra AuthorDevebhdra Muni
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size22 MB
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