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धान भगवान महावीर
इन्द्रभूति गौतम ! तुम वेदो के महा पण्डित होकर भी आत्मा के अस्तित्व
के विषय में शंकाशील हो।
अनेक युक्तियों से भगवान ने गौतम की शंका का समाधान कर दिया। गौतम भगवान के चरणों में नत-मस्तक हो गये।
प्रभु ! आप तो ज्ञान के सागर हैं। कृपया
मुझे अपना शिष्य स्वीकार कीजिए।
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पाँच सौ शिष्यों के साथ उन्होंने वहीं दीक्षा ले ली और वे भगवान महावीर के प्रधान व प्रथम शिष्य बने।
गौतम के दीक्षित होने की खबर सुनकर अन्य दस विद्वान भी भगवान के पास आये। अपनी-अपनी शंकाओं का समाधान पाकर सभी अपने-अपने शिष्य परिवार के चार हजार चार सौ शिष्यों के साथ भगवान के चरणों में दीक्षित हए। राजकुमारी चन्दनबाला ने भी दीक्षा
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प्रभु महावीर ने वैशाखसुदी एकादशी के दिन चतुर्विध संघ (श्रमण-श्रमणी-श्रावक-श्राविका) की स्थापना करके धर्म तीर्थ का प्रवर्तन किया, गौतमादि ग्यारह गणधरों को संघ की व्यवस्था सौंपी।
गौतम वेदों के प्रकाण्ड पण्डित होकर भी आत्मा के अस्तित्व के प्रति अपनी शंका का समाधान प्राप्त नहीं कर पाये थे।
Nagardi