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| लोगों ने इन्द्रभूति गौतम को बताया
महासेन उद्यान में तीर्थंकर भगवान महावीर पधारे हैं। ये देव-देवियाँ उन्हीं के दर्शनों के लिए जा रहे हैं।
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करुणानिधान भगवान महावीर
यह सुनकर गौतम को बहुत क्रोध आया। मुझसे बढ़कर कोई दूसरा ज्ञानी है इस संसार में? नहीं ! लगता है कोई बहुत बड़ा पाखण्डी है यह । मैं अभी अपने ज्ञान से इसके पाखण्ड की पोल खोल देता हूँ।
इन्द्रभूति गौतम अपने पाँच सौ शिष्यों के साथ भगवान के समवसरण में जा पहुँचे। परन्तु वहाँ की अलौकिक छटा | देखकर स्थम्भित रह गये। तभी हृदय को शान्त करने वाली भगवान की शीतलवाणी उनके कान में पड़ी
इन्द्रभूति गौतम ! तुम आ गये
....? तुम्हारा आना श्रेयस्कर होगा।
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हैं! यह मेरा नाम और गोत्र भी जानते हैं।
AVA
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