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दीक्षा लेते समय वर्द्धमान महावीर के शरीर पर चन्दन आदि सुगन्धित वस्तुओं का लेप किया गया था। जिसकी भीनी-भीनी महक से भंवरे उनके शरीर पर आकर बैठ जाते, और डंक मार देते। ध्यान में लीन महावीर उन सब पीड़ाओं को समभाव पूर्वक सहते रहे।
सोम शर्मा पीछा करता हुआ महावीर के पास आ पहुँचा। और बोलाहे दयासिंधु, आप उपकारी हैं, कृपा करके मेरी दरिद्रता दूर कीजिये। मुझे भी कुछ दीजिए।
करुणानिधान भगवान महावीर
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जब वर्द्धमान महावीर वर्षीदान कर रहे थे उस समय सोम शर्मा नाम एक गरीब ब्राह्मण परदेश गया हुआ था। जब वह वापस आया तो उसकी पत्नी ने कहा
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आप कैसे अभागे हैं, जब भगवान ने वर्षीदान किया तो आप परदेश चले गये। अब जाओ उनके पास वे हमारी दरिद्रता अवश्य ही दूर करेंगे।
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भगवान महावीर के पास केवल एक देवदुष्य वस्त्र था। उसमें से आधा भाग चीरकर सोमशर्मा को दे दिया।
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