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________________ बुद्धि निधान अभय कुमार अपनी योजनानुसार अभय ने सुलस से मैत्री कर ली। अभय सुलस के घर आने जाने लगा वह उससे दया धर्म और करुणा की बातें करता। भगवान महावीर के उपदेशों के विषय में बताता। मित्र ! तुम्हारी बातें सुनकर मुझे बड़ा आनन्द आता है। POOCCORARA धीरे-धीरे सुलस पर अभय की संगत का असर होने लगा। उसने वधशाला जाना बन्द कर दिया। उसके हृदय में मूक जानवरों के प्रति कळणा उत्पन्न हो गई। वह पूरी तरह अहिंसा धर्म का पालन करने लगा। एक दिन काल शौकरिक को एक भयानक रोग हो गया। वह वेदना से चीखने चिल्लाने लगा। सुलस ने वेदना कम करने के लिए पिता के शरीर पर सुगन्धित शीतल चन्दन आदि का लेप लगाया परन्तु पीड़ा कम नहीं हुई। निराश सुलस अभय के पास पहुंचा। पिता की दशा बताकर शान्ति का उपाय पूछा। अभय ने कहा OOOOOOOO.DO2020 LOODDRODU0000) सुलस तुम्हारे पिता ने जीवन भर हिंसायें की हैं। यह उसी का परिणाम है। उन्हें शीतल चन्दन शान्ति नहीं पहुंचा पायेगा बल्कि गधे और ऊंट का कर्कश स्वर सुनवाओ कक्ष में दुर्गन्ध कर दो। इसी से उन्हें शान्ति मिलेगी। Jain Education International www.jainelibrary.org For Priv 30 Personal Use Only
SR No.002806
Book TitleBuddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size21 MB
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