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________________ बुद्धि निधान अभय कुमार काल शौकरिक कसाई राजगृह में काल शौकरिक कसाई रहता था। वह प्रतिदिन पाँच सौ भैसों का वध करता था। ANTIALA राजा श्रेणिक ने उसका हिंसा का धन्धा छुड़ाने| उस बात से राजा श्रेणिक का मन बहुत खिन्न हुआ। | के लिए बहुत प्रयत्न किये। यहाँ तक कि उसे | उन्होनें अभय कुमार से कहाप्राण दण्ड का भय दिखाया और एक गहरे सूखें कुएँ में डाल दिया। परन्तु वहाँ बैठकर तुम किसी भी प्रकार राजगृह में भी वह मिट्टी के भैंसे बनाकर लकड़ी के होने वाली इस हिंसा को रोको तिनके से उनकी गर्दन तोड़कर सोचता और काल शौकरिक कसाई का हृदय बदलो। महाराज ! काल शौकरिक की नस-नस में हिंसा का संस्कार समा चुका है। अब वह तो नही बदल पायेगा परन्तु उसके पुत्र सुलस AAWAY को करुणा के संस्कार देकर हिंसा की इस HAM परम्परा को बंद करने का प्रयास करता हूँ। वाह ! मैंने पाँच सौM भैंसे मार दिये। GGCQCo उसने सुलस को अहिंसक बनाने के लिए एक योजना बना ली। 29 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.002806
Book TitleBuddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size21 MB
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