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भगवान महावीर की बोध कथाएँ
यह बात सुनकर दोनों भाइयों के पसीने छूट गये। जिनपाल ने पूछा
फुल
यहाँ से मुक्त होने का भी कोई उपाय है?
दोनों यह बात सुनकर वापस महल आ गये और आपस में सलाह की।
भाई! आज ही अमावस्या की रात है, हमें
तुरन्त पूर्व के जंगल की
तरफ चल देना चाहिये।
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हाँ एक उपाय है। पूर्व दिशा के वन में शैलक नामक एक यक्ष, अमावस्या को अश्व रूप में उपस्थित होकर अपने भक्तों को पुकारता है "किसकी रक्षा करूँ?" उस समय जो प्रार्थना करता है, उसे यहाँ से बचा कर ले जाता है।
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यह निश्चय कर दोनों जल्दी से पूर्व के जंगल की ओर चल पड़े।
कुछ ही देर में दोनों उस स्थान पर पहुँच गये। नियत समय पर अश्व रूपधारी यक्ष प्रकट हुआ और आवाज लगाई
"किसको तारूँ" किसकी रक्षा करूँ।
है। देव! कृपा कर हमें इस विपत्ति से पार उतारिये।
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