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4057पितामाणयाश्वनाथ
वसुन्धरा कमठ के प्रलोभनों में फँस गई। चोरी छुपे दोनों की प्रेम लीला चलने लगी।
एक दिन कमठ की पत्नी वरुणा ने इन दोनों की पाप लीला देखी तो वह चौंक उठी/MAYAN
हे भगवान! यह - कैसा दुराचार!
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मौका देखकर वरुणा ने कमठ को समझाया
स्वामी! आप यह क्या पाप कर रहे हैं! छोटे भाई की पत्नी तो बेटी के समान । होती है। फिर मरूभूति को पता चलेगा तो दोनों भाईयों के सुखी संसार में आग नहीं लग जायेगी?
कमठ ने क्रोध में आकर उल्टा वळणा को । डांटा।
यह आग तुम ही लगा रही हो! देवता समान अपने पति पर झूठा आरोप लगाते तुम्हें शर्म नहीं आती?
वाह! उल्टा चोर ही कोतवाल
को डॉटे।
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