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चिंतामणि पार्श्वनाथ
भगवान पार्श्वनाथ की आत्मा ने नौ जन्म पूर्व, पोतनपुर के राजा अरविंद के राज पुरोहित के घर में जन्म लिया। नाम रखा गया मरुभूति । मरुभूति का बड़ा भाई था कमठ। कमठ बहुत ही क्रोधी, अहंकारी और दुराचारी स्वभाव का था। जबकि मरुभूति सरल, शांतिप्रिय और सदाचारी वृत्ति का था। पिता के बाद मरुभूति को राज पुरोहित का पद मिल गया। राजा अरविंद मरुभूति का बहुत सम्मान करते थे। इस कारण कमठ उससे मन ही मन जलता रहता।
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एकबार कमठ मरुभूति से मिलने के लिए आया। मरुभूति घर पर नहीं था। कमठ की नजर मरुभूति की पत्नी वसुन्धरा पर पड़ी।
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"वाह ! क्या रूप है? इसे तो मैं अपनी बनाऊँगा ।
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मरुभूति की अनुपस्थिति में कमठ वसुन्धरा से। मिलने लगा। तरह-तरह के गहने कपड़े लाकर उसे भेंट देता।
- लो! यह सब तुम्हारे लिए लाया हूँ | पहनकर अप्सरा सी सुन्दर लगोगी...!.
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