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चिंतामणि पार्श्वनाथ
सुवर्णबाहु अपना नाम सुनकर वृक्ष की ओट से निकलकर सामने आ खड़े हुए। अचानक एक सुन्दर युवक को सामने देखकर दोनों कन्याएँ भयभीत हो गईं। सुवर्णबाह ने उन्हें भयभीत देखकर कहा
सुन्दरी! डरो मत! जब तक इस पृथ्वी पर महाराज सुवर्णबाहु । का राज्य है, तुम्हें कोई कष्ट
नहीं दे सकता।
दे सकता।
तपोवन की कुटिया में स्थित गालव ऋषि ने किसी पुरुष की आवाज सुनी तो वे बाहर आये, एक वीर सुन्दर श्रेष्ठ युवक को सामने खड़ा देखकर ऋषि ने पूछा-माल
हे नरश्रेष्ठ! आप कौन हैं?
सुवर्णबाहु ऋषी की बात का कोई उत्तर देते इससे पहले ही उनके घुड़सवार सैनिक उन्हें ढूँढते हुये वहाँ आ पहुंचे। घुड़सवारों ने दूर से ही अपने राजा को देखकर खुशी के मारे जयघोष किया।
महाराज सुवर्णबाहु MY की जय!
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