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चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान पार्श्वनाथ का नीव अपनी जीवन-यात्रा के छठे जन्म में वज्रनाभ नाम के राजा बने। राजा वज्रनाभ । श्री राम-त्यागकर मुनि बनकर तपस्या करने चले गये। कमठ का जीव यहाँ मेरो नाम का भील बना। एक बार किसी घने जंगल में विहार करते हुए मुनि को सामने ही कुरंग भोलि पाया। वह धनुष पर बाण चढ़ाकर शिकार करने निकला था। मुनि को सामने आते देखकर उसकी क्रोध अग्निं भड़क उठी।
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आज सबसे पहला शिकार इसी साधु महात्मा का करूंगा।
भील ने मुनि को निशाना साधकर बाण मारा। बाण लगते ही मुनि भूमि पर गिर पड़े।
णमो सिन्द्राणं
समता भाव के साथ शरीर छोड़कर मुनि देव बने।
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