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श्रुत्वादवचस्तदा VI. 67.1b श्रुत्वादस्यापि वचोऽनुकूलम् IV. 53.27a श्रुत्वा च वाक्यं मम सर्वमेतत् VII. 77.21c
विदिनं मम IV. 62.3d
विस्मयं जग्मुः VI. 128.40a
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सपनम् II. 73.1a
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" चाभरणस्वनम् IV. 33.26b
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चाभ्यद्रवत्कुद्धा I. 26.8c
चासीत्सुदुःखितः II. 41.8d
चन्द्रजितो वधम् VI. 92.1b
चैतत्रिलोकज्ञः I. 1. 6a
चैतद्विधीयनाम् II. 9.7d
जनकभाषितम् I. 67.12b
जनकराजस्य VII. 38.25a
जाम्बवतो वाक्यम् VI. 74.19a
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तत्परिदेवितम् VI. 20.34b
तथेति रजा च I. 10.6a
तदा लाभमिष्टमाशु II. 3.4gb गीतमाधुर्यम् VII. 91. 300 तद्वचनं क्रूरम् V. 53.24c
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श्रुत्वातिकायस्य वचः सरोषम् VI. 71.57a
श्रुत्वा तु गदितां वाचम् V. 58.64c
,, जामदग्न्यस्य I. 76. ra
तं वानरसैन्यनादम् VI. 34.28
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" तस्य निनदम् IV. 15.28
द्विभाषितम् I. 12. 14b
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तेषाम् I. 4029C तनावबुध्यते VI. 63.10b तस्यागुणान्स VI. 11.96a
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तं निनदं भृशम् VI. 51.2b
भीनम् VI. 82.ra
तामद्भुतां गिरम् V. 58. 162d
af मर्ती कथाम् II. 1rg.ib
मैथिलीं राम: VI. 126.47a
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१२३
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११५३
! श्रुत्वा तु धनुषो मेदम् I. 75.260
परमानन्दम् VI. 127.1a
परिदेवितम् VI. 20. rgb
,, प प्रसंयुक्तम् VII. 54.3a
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भरतं प्रानम् VII. ror.4a
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भाषितं वाक्यम् VII. 78. ra सीता VII. 49.13a
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. कुशलिनम् VI. 125.5a राघवस्यैतत् VII. 40.27a
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राघो धीनान् VII. 100.4a
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" राजा कैकेय्या II. 12.51a
रावणं प्राप्तम् VII, 27.3a
वचनं तस्य IV. 38.9c
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40.Ia VI. 19.22a 120.11a VII. 41.1OC तस्यः VI. 48.34a
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तसाम् I. 10.28a
V. 65.7a
VII. 1.29a
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वाक्यं काकुःस्थः VII. 43.23a
व्याहृतं वाक्यम् VII. 51 28a
स दशौत्रः VII. 26.58c
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सिद्धार्थ वचः II. 36.3ra
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तूशन संक्रुद्धम् VII. 59 ra तूशनको वाक् म् VII. 81. 12a
ते वचन सर्वे I. 59. rIc
तपना V. 1. 2gb वचोऽमृतम् VI. 102.6b
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तौ भ्रातरौ वीरौ VII. 6.23c
त्रिशिरस वाक्यम् VI. 69.8a
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