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विविधाः काननद्रुमाः IV. I.I2b
, , VI. 4.74b
,, शस्त्रपाणयः VI. 53.9d विविधेष्वासनेषु च II. I.50b विविधैरन्नपानैश्च II. I0.15c विविधैः रागखाण्डवैः V. II.18d विविधैबहुसाहौः V. 6.8c विविधैर्मृगसङ्घश्च V. 14.34a विविधैवृक्षषण्डैश्च IV. 27.9a विविधैर्हिमवानिव VI. 22.21b विविधैश्च न्यदर्शयम् VI. 17.14b
, पराक्रमैः II. 5I.IIb ,, परिश्रमैः II. 86.12b
, स्वनैर्लङ्का V. 45.16c विविशुर्गिरिगह्वरम् IV. 48.23b विविशुर्जाह्नवीतीरे I. 35.9c विविशुधरणीतलम् VI. 88.68d विविशुनगरं ततः VI. III.122b
, भयात् VI. 56.34b विविशुर्नुपतेहम् I. 32.24b विविशुर्भयपीडिताः VII. 14.30d विविशुहरिमासाद्य VII. 7.32c विविशुश्चाकुतोभयाः IV. 48.7d विविशुस्तद्वनं शूराः II. 93.21c विविशुस्तिमिरावृतम् IV. 50.17d विविशुस्ते ततस्तानि VI. 39.IIC
, समाहिताः VII. 44.15b विविशुः पूजितास्तेन I. I8.49a
, स्वं स्वमाश्रमम् I. 58.9d विवृणोतु स दुष्टात्मा II. 75.32c विवृतं मानुषं वपु: VI. 8.14b विवृते गिरिगह्वरे IV. 67.6b विवृतैर्दशनीमैः IV. 22.24c विवृत्तकर्मायतन: IV. 28.55a विवृत्तनयनं क्रोधात् VI. 96.33a
| विवृत्तवदनाः करा: VI. 58.18c विवृत्तविध्वस्तविशाललोचना V. 8.7c विवृत्य नयने कोपात V. 23.10a
, , कूरे V. 22.23c ,, ,, ,, ,, 58.75c ,, वक्र वडवामुखाभम् VI. 60.57c
" , , , 74.45c विवृत्योपं ननादोच्चैः VI. 74.42c विवृद्धकोपो बलवीर्यसंवृतः V. 47.17b विवृद्धमशिरोग्रीवम् VII. 69.27c विवृद्धमूला बहवः V. 15.10a विवृद्धवेगश्च विवेशितां चम्म VI, 57.44c विशुद्विमगमस्तत्र VII. 5.8c विवेकं शक्यमाधातुम् V. 9.66c विवेश कपिकुपार: V. 3.2b
, , , 4.2d ,, च गृहोत्तमम् III. 31.50d ,, चाङ्गदो भूमौ IV. 55.17a ,, ज्वलनं तदा VII. 45.71b , , दीप्ताम् VI. II6.270
ज्वलनं सती I. 1.82d ,, धरणीतलम् VI. 108.10d , घरणी मित्त्वा VI. 82.1IC ,, नगरी लङ्काम् VI. 46.440 , , , VII. II.47c ,, नलिनी रम्याम् III. 75.16a ,, पम्पा नलिनीमनोरमाम् III. 75.29c , पर्णशालायाम् VII. 65.39c , मुनिसत्तमः II. 5.5d ,, रामः सह लक्ष्मणेन III. 75.30d ,, लङ्का सहसा स्म राजा VI. 50.142d ,, वसतिं पितुः II. II4.28b ,, वाली तत्रापि IV. 46.4c , वैष्णवं तेज: VII. II0.12c ,, स महाबिलम् IV. I0.16d
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