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فقاهة
विवेश सहसा गृहम् II. 57.23d
,, सोऽन्तःपुरमृद्धिमन्महत् VI. 36.22d विवेशान्तःपुरं राजा II. 5.25c
, वशी II. I0.IIb विवेशावसथं शुचिः II. 56.30b विवेशोच्चावचः श्लक्षण: II. 91.27c विवेष्टमानं करुणम् VI. IOI.I5c विव्यथे न स राक्षस: VII. 69.IId ,, भरतोऽतीव II. 75.17c
, राक्षसेश्वरः VI. 60.3d विव्योर संकाशैः VI. 52.40 विव्याथाथ स चासकृत् IV. II.7od विव्याध चतुरो हगान VI. 80.39d
, तो दाशरथी VI. 80.33c ., दगिर्वाण: VI. 90.31a
" , 100.10c नवभिनव VI. 73.43c गर्शितः शरैः V. 44.6d ,, , VI. 70.32d ,, ,, ,, 80.22d
,, ,, , 89.44 परमक्रुद्धः VI. 51.14e
बहुभिणि: VI. 46.210 , युधि रावणिः VI. 46.20d , वत्सदन्तैश्च VI. 45.23e
वदने शुभे VI. 90.39d , शुभलक्षणम् VI. 88.Igd , समरे क्रुद्धः VI. 80.28c ,, हरिशार्दूलान् VI. 73.61c
,, हृदि मर्मज्ञः III. 28.24c विव्याधाभिमुखान्संख्ये VI. 71.4IC विव्याधोरसि सौमित्रिः VI. 90.I9c विशका त्यजतामेषा V. 34.40e विशन्ति मोहाद्येऽप्यत्र IV. 13.21c विशन्ती वाङ्गमात्मनः V. 25.5b
विशल्यकरणीमपि VI. 74.33b विशल्यकरणीमहम् VI. I0I.35b विशल्यकरणी नाम्ना VI. IOI.31a
, शुभाम् II. 25.38b विशल्यं कुरु मां राजन् II. 63.45c __, सहसा विभुः VI. 71.82b विशल्यः क्रियतां क्षिप्रम् VI. 91.22a
,, समपद्यत VI. 91.25b विशल्या देवनिर्मिताम् VI. 50.30d विशल्योऽयं महाप्राज्ञः VI. 91.2ra विशल्यो विन शिष्यति II. 63.46d
, विरुजः शीघ्रम् VI. I0I.44c विशल्यौ कुरु चाप्येतो VI. 74.28c
, च महात्मानौ VI. 75.34a विशसेयुरथापि वा V. 37.55b विशस्ता देवदानवाः VI. 69.5b विशस्ते वा गृहीते वा V. 30.32a विशस्येमा ततः सर्वान् V. 24.42a विशाखमपि चाम्बरे VI. 102.36b विशाखयोर्मध्यगतः VI. 76.15c विशाखाश्च सधूमाश्च II. 4I.IIC विशाखे निरुपद्रवे VI. 4.50b विशाम्यहं हि पातालम् I. 43.6a विशाल इति विश्रुतः I. 47.12b विशालकक्ष्यां गजवाजिभिताम् VI. 123.54b विशालनेत्रः स विशालनेत्रम् IV. 33.66d विशालरथ्या दुर्धर्षा IV. 41.37a विशालवक्षसं वीरम् III. 32.8c विशालवक्षसौ वीरौ IV. 3.13c विशालवक्षास्ताम्राक्षः VI. 28.22c विशालस्य सुतो राम I. 47.13a विशालं जघनं पीनम् III. 46.19a
,, रमणीयं च III. 55.30c विशालः सुकृतः श्रीमान् VI. 22.75c fartiae fa egret III. 17.102
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