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________________ पद्मानि वाऽऽनेतुमभिप्रयाता III. 63.14b पद्मानव हिमात्यये I. 8.24f पद्मान्यानयितुं गता III. 64.2b पद्माश्रीरुपतिष्ठताम् II. 79.15b "> श्रीः समुपाश्रिता VII. rog.6b पद्मिनीनां प्रसुतानाम् V. II.36a पद्मिनीः पतगैरृताः IV. 50.28d पद्मिनी पद्मशोभिता III. 15. Ind पद्मिनीभिः कृतोदकाः IV. 43.38f समन्ततः III. 35.12b पद्मिनीभिश्च फुलाभिः VII. 26.4c पद्मिनीमिम विध्वस्ताम् V. 19.13C पद्मिनीव च विभ्रती III. 46.16d हिमागमे V. 58.6od رو در 65.15b " हिमोदये V. 59.27b पद्मिनीः साधुपुष्पिताः II. 27.18d पद्मिन्य इव साम्बुजा : VII. 36.6d पद्मिन्यः फुल्लपङ्कजाः III. 61.26b 39 " IV. 48.1od पद्मिन्यश्च सरांसि च II. 48.9b पद्मिन्या च सपद्मया III. 1.6d पद्मिन्यो विविधास्तत्र III. 11.39a विविधास्तथा III. 65.14b " "" ފ " पद्मे दिव्येऽर्कसंकाशे VII. 104.7a पद्मश्वाकोशकुड्मलै: IV. 13.7b पद्मः सुरभिगन्धिभि: III. 15.11b सौगन्धिकैः फुलैः VI. 4. 85a पद्मोत्पलझषाकुलम् IV. 1.1b पद्मोत्पलता भान्ति II. 15.9a पद्मोत्पलसमाकीर्णम् VII. 77.5a पद्मोत्पलसुगन्धिनः VII. 26.22b पद्मोत्पलसुगन्धिभिः VI. 83. 12b पनसः पनसो यथा VI. 31.29d पनसश्व महाबाहुः VI. 42.24 ވލް Jain Education International ६२८ पनसान्कुररांस्तथा III. 60.21b पनसा बीजपूरकाः II. gr. 3ob पनसैलकुचैरपि III. 15.18b पनसो नाम यूथपः IV. 39.21b VI. 26.38d "" " " पन्थानं तव दर्शयन् II. 31.25d दर्शयन्पुनः II. 85.3d नरवर भक्तिमाञ्जनश्च II. 79.17c प्रतिपेदतुः III. 69.2d पन्थानमकुतोभयम् II. 34. 3rd 46.21d " " " " VII. 82.13b पन्थानमनुयाचितः IV. 59.15d पन्थानमहमाक्रम्य V. 58. 1670 " " पन्थानमाहुस्त्रिदिवस्य सन्तः II. 109.31d पन्थानमृषिभिर्जुष्टम् II. 56.4c पन्थानमेकोऽध्यवसम् IV. 59.13c पन्थानं वरुणौ तथा I. 28. gd पन्थानं शोधयन्ति स्म VI. 4.30c पन्थाः परमदुर्गम: VI. 121.7d सुरपथोपमः II. 80. 14d " पन्नगं गरुडो यथा VII. 34.15b धरणीधरम् IV. 40.51b ور 23 पन्नगप्रतिमैर्भीमैः VI. 59.6ga पन्नगाशनमाकाशे IV. 67.14a पन्नगाशनवत्कपिः V. 1. 9rd पन्नगाश्च सहस्रशः VI. 107.46d पन्नगासुरगन्धर्व III. 45.1Oc पन्नगांस्तुरगांस्तथा VII. 28.3gb पन्नगेन्द्र इवाचले VI. 71.73d पन्नगेन्द्र वधूमिव III. 49.22b "3 V. 19.9b वधूर्यथा IV. 6.10d " पन्नगेभ्योऽपि वा तथा VI. 1. 14b पन्नगैरिव सागरम् VI. 9.7d For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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