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________________ पद्यां परिवृतः स्वयम् II. 98.5d ,, पर्वतसंनिभः VI. 65.53b , पादवतां वरः II. 98.1b पद्भयाम भिगमाश्चैव II. 50.41a पद्भयामभिहतोऽपतत् VI. 96.27b पद्भयामेव जगामाथ II. 45.IMa तु धर्मज्ञः II. 90.2a ,, महातेजा II. 98.14c , महाबल: VII. 44.8b पद्भयामेवागतां प्रभो VI. III.62b पद्यामेवोपसर्पतु VI. II4.30b पद्भयां यान्तु प्लवंगमा: VI. 21.22d , रामो महारण्ये II. I2.95c ,, शूद्रा इति श्रुतिः III. 14.30d ,, समुपचक्रमे VII. II0.7d पद्भिरेव नरा ययुः II. 103.37d ,, प्लवङ्गमाः VI. 22.3d पद्मकाश्चैव शोभन्ते IV. 1.79a पद्मकिंजल्कसंनिभ: VI. 26.15d पद्मकेसरवर्चसाम् VI. 95.15b पद्मकेसरवर्णैश्च IV. 39.13c पद्मकेसरसंकाशः IV. 39.17a पद्मकेसर संसृष्टः IV. I.72a पद्मकैः सरलैश्चैव IV. 27.17c पद्मकोशपलाशानि IV. I.7 Ia पद्मकोशसमप्रभौ II. 60.18d पद्मकोशीरचन्दनैः VI. III.II3b पद्मगन्धि शिवं वारि III. 73.17a पद्मगर्भसमप्रभम् II. II0.23b पद्मगर्भाभमव्रणम् III. 52.1gd पद्मनाभमहानाभौ I. 28.6a पद्मनाभमिदं प्राह VII. 8.2c पद्मनाभेन पृष्ठतः VII. 8.1b पद्मनाभो रणान्तकृत् VI. II7.17b पद्मनाभः सनातनः VII. 27.11b पद्मनालैरिवाहताः VI. I07.16b पद्मनिःश्वासमुत्तमम् II. 61.8b पद्मनीलोत्पलायुता IV. 1.63b पद्मपत्रतलौ हस्तौ VI. I0I.26a. पद्मपत्रनिभेक्षणः VI. 22.19b पद्मपत्रमिवायतम् V. 27.43d पद्मपत्रविशालाक्षम् IV. 40.5IC __, , 99.13a पद्मपत्रविशालाक्षी V. 37.4IC पद्मपत्रविशालाक्षीम् IV. 1.67a पद्मपत्रविशालाक्षौ I. 48.3a पद्मपत्रसमानाक्षम् II. II0.23a पद्मपत्राणि वेदेह्या III. 52.1gc पद्मपत्रायतेक्षणम् III. I7.7b पद्मपत्रेक्षणः श्यामः III. 16.31a पद्मपत्रेक्षणं सुभ्र II. 64.69c पद्मपत्रेक्षणी वीरौ IV. 3.12a पद्मपुष्करसंबाधम् III. II.6a पद्ममंशुरिवार्कज: VII. 69.7d पद्ममातपसंतप्तम् II. I04.25a पद्ममालाभिरेव च IV. 25.26b पद्मरेणुनिभैः कीर्णा V. 16.16c पद्मवर्णैः सितासितैः V. I.5b पद्मवर्ण सुकेशान्तम् II. 61.8a पद्मशङ्खसमावृत: VII. 15.16d पद्मषण्डेषु नित्यशः III. 56.20b पद्मसौगन्धिकवहम् IV. I.I04a पद्मसौगन्धिकायुताम् III. 75.21b पद्मसौगन्धिकैस्ताम्राम् III. 75.20a पद्मस्वस्तिकसंस्थितैः V. 4.7d पद्महीनामिव श्रियम् III. 46.15b ,, , VI. 36.8b पद्माकरेष्वभ्यधिकं विभाति IV. 30.29d पद्माचलवनं भीमाः IV. 37.4c | पद्मानना पद्मपलाशनेत्रा III. 63,14a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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