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पन्नगः शरतां गतः VI. 45.8d
, सह दीप्तास्यैः VI. 22.18a ,, सुमहाकायः VII. 28.30a पन्नगोरगराक्षसाः I. 65.gd पपात कवचं भूमौ III. 28.18c ,, च दिवो दिव्या VII. I733c ,, ,, ममार च VI. 56.30d , , , , , 79.39d ,, , महाबाहुः IV. II.46c ,,, महीतले V. 48.38d ,, चरणौ तस्याः II. 75.18a. , ज्वलनं दीप्तम् VI. II6.29c ,, तरसा भिन्नः VI. 97.22c ,, तस्मिन्हरिराजसैन्ये VI. 67.155c ,, तूर्ण शयने स मूच्छितः II. 59.32d
देव्याश्चरणौ प्रसारितौ II. 12.112c ,, धरणीतले II. 42.3d
,, ,, 77.9b , III. 20.28b " , 52.26d " , ,, 20d ,, ,, 68.18d
,, VII. 21.35d. , धरणीधरः V. 57.30d
निहतो भूमौ V. 44.18c
पुनरेवार्ता III. 20.23c ,, पुष्पवर्ष च VII. I0.7c , पुष्पवृष्टिश्च VII. II0.6c ,, प्रथमं रामः VI. 45.22a , प्रियदर्शना VI. 81.30d ,, भरतो रुदन् II. 99.37d , भुवि दूषण: III. 26.15b , , मूञ्छितः II. 34.17d " , , VI. 76.45d ,, , रावणः III. 5I.I9d
पपात ,, लक्ष्मणः VI. 100.36d
, , संक्रुद्धः II. 74.35c ,, भूमौ गगनाद्यथाऽशनिः III. 18.25d ,, , गिरिसंनिकाशः VI. 67.159b ,. , युधि वानरेन्द्रः VI. 67.67b
, हतवाजिरम्बरात् V. 47.32d , रणमूर्धनि III. 26.14b
रुधिराक्लिन्नः VI. 96.32a
ELETTIEIR VII. 7.43e ,, रुधिरं बहु VI. 59.114b ,, लवणाम्भसि V. 58.44b
वज्रामिहतो यथादिः VI. 70.3rd ,, वसुधां पुन: I. 43.25b ,, विधुराम्भसि V. I.I8nd ,, सरथः साश्वः VI. 43.28c ,, स हतः क्षितौ VI. 76.34d ,, सहसा देवी II. 20.32c ,, , दैवात् VI. 78.17c ,, , भूमौ II. 72.16c " " " V.3.4I
, , VI. 52.37a
" , ,, 58.54c " , , , 7I.105c ,, ,, ,, VII. 69.36c " , वाली IV, 69.36c ,, , हृष्टः VI. 125.40c ,, स्यन्दनाद्भूमौ VI. I08.22c पपाताङ्के मुने राम I. 62.4a पपाताशनिनाच्छिन्नम् III. 3.19c पपाताशु विमूञ्छितः III. 4.6b पपातोक्षाणसंनिधौ II. 32.38d पपातोरसि वेगवान् VI. 77.21d पपुः सर्वे मधु तदा V. 62.7c | पपौ शक्ररिपुस्तदा VI. 60.63d पप्रच्छ का त्वं भवन बिलं च IV. 50.400---
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