SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 407
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५७२ در راه و न हि मिथ्या प्रतिज्ञातम् II. 35.3ra ,, मे काशितं राज्यम् II. 34.45a ,, ,, क्रममाणाबा VI. 34.a ,, ,, जीवतो गच्छेत् VI. 8.3c ,, जीवमानस्य III. 50.26a जीवितं रक्ष्यम् VI. 57.16a जीविते किंचित् II. 43.20a जीवितेनार्थः V. 26.5a VI. IOT.48a जीवितं स्थाने III. 45.2a तप्यमानस्य I. 64.20a तेन हीनाया V. 33.270 परदाराणाम् V. II.39a रावणाद्भयम् VI. 33.6d ,,, रोचते भृशम् VI. 64.16d ,, ,, वीर III. 9.13a ,, मेऽविदितं किंचित JI. 86.8a मे विप्रियं कृया III. 31.5a ,,, शक्ति रस्त्यद्य IV. 58.3c ,,,, शुध्यते मनः II. 50.10d ,, ,, ,, संप्रयातस्य V. 37.28a ,, ,, मेऽस्ति भयं किंचित् II. 30.27c ,, ,, विपर्ययः II. 34.49d ,, युक्ता तवनस्य VII. 17.4c ,, युद्धेन वे लङ्का V. 2.25c ,, रथ्याः मुशक्वन्ते II. 33.4a ,, राजत्ययोध्येयम् II. II4.25a ,, राजा न जानीत VI. 6.1.3a ,, ,, राजा प्रियं पुत्रम् II. 33.20c ,,,, राज्ञः सुताः सर्वे II. 8.23a ,, ,, राज्यमधर्मेण VI. 4I.6ga ,, ,, राममहं दृष्ट्वा H. 12.74C ,, ,, रामसमः कश्चित P. II.3c ,, रामस्य भार्या माम् III. 48.23c ... रामं तदा कश्चित् VI. II6.22a न हि रामं पराक्रम्य III. 42.3a ,,, रामात्परो लोके II. 44.26c ,, ,, रामाप्रियतमः II. 51.4a ,, ,, रामाप्रियतर: II. 86.5a ,,,, रामो दशग्रीव III. 31.27a. ,, ,, रूपोपमा ह्यन्या V. 20.13८ ,, ,, रोचयते तात VI. 65.10c ,,,, लक्षणमस्ति तान् VI. 64.6d ,,, लप्स्याम्यहं निद्राम् III. 54.24c ,, ,, लोकविरुद्धस्य IV. 18.21a ,, ,, वर्ते प्रतिग्रहे II. 50.43d ,, ,, वाक्यमिदं त्वया III. 24.13b ,, ,, वां हन्तुमिच्छामि VI. 29.140 ,, ,, वृत्तं हि पश्यामि III. 65.ga ....वेदितवान्मन्ये VII. 35.12a ,, ,, वे त्वद्विधो लोके IV. 31.6a ,, ,, वेदेहि रामस्त्वाम् V. 20.27a ,,, वो गमने सङ्गः IV. 64.22a ,, ,, वः प्लवने कश्चित् V. 60.9a ,, शक्तिं प्रपश्यामि VI. 12.26a ,, ,, शक्तोऽस्म समामे I. 20.20c ,,,, शक्ताः स्म पालने I. 14.47d ,,,, शक्या प्रवेष्टुं सा II. 52.55a ,, ,, शक्यं क्वचित्स्थातुम् V. 2.4la ,, ,, शक्यः स्त्रिया हन्तुम् VII. I7.31a ,,, शक्ष्याम्यहं द्रष्टुम् V. 13.36c ,,, , भूय: VII. I05.7c ,,, ,, हित्वा VII. 89.18a , ,, शुध्यति मे मनः V. 46.7b ,, ,, सत्यात्मनस्तात II. 34.32a ,, ,, सामोपपन्नानाम् IV. 59.16a ,, ,, सा विलपन्तं माम् III. 62.8a ,, ,, स्त्रीषु महात्मानः IV. 33.36c ,, हिंस्युरविदुषकम् I. 7.IId ,, हिंस्युरिति तेनाहम् II. 9I.9c Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy