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त्रासादागतसाध्वसा: VI. 46.41b | त्रिदशवरप्रतिमाय राघवाय VI. II3.51d त्रासादुत्फुल्ललोचनाः VI. 50.5d
त्रिदशा इव रावणम् VII. 69.5d त्रासिता युधि धीमता VI. I09.16b ,, नातिवर्तन्ते VI. 76.73a
,, वनचारिणः III. 24.30d त्रिदशानिदमब्रवीत् I. 36.20d त्रासोत्कम्पपयोधराम् V. 24.39d
" , 37.5d त्राहि त्राहीति तुष्टुवुः I. 45.2Id
त्रिदशान्विनिहत्याशु VII. 29.6c ,, ममद्य काकुत्स्थ III. 52.5a त्रिदशान्समरे निघ्नन् VII. 28.44c त्राहीति वचनं सीते III. 59.IIC त्रिदशाः पृथिवी चैव I. 36.13c त्रिकूटः कन्दर : कीर्णः VI. 44.26c त्रिदशारिर्मुनीन्द्रधन: III. 35.9c त्रिकूटशिखरे रम्ये VI. 40.2c
त्रिदशेषु विशेषतः I. 33.7d farar VII. 6.15b
त्रिदशैः समतां व्रज VII. 3.Igd ,, स्थिताम् VI. 2.10b
,, सासुरोरगैः VI. 67.76d , , 123.3b
,, सुमहावीर्यैः VII. 29.23c त्रिकूटस्थः स तु तदा VII. II.2 IC
त्रिदिवं गतकल्मषम VII. II0.15d त्रिकूटस्य तटे लङ्काम् V. 2.1c
,, गन्तुमर्हसि VI. II9.6d त्रिकूटे जाह्नवीमिव IV. 27.16d
,, चावरं परम् III. 5.30d त्रिकूटो नाम पर्वत: VII. 3.25b
, पुनरभ्यगात् I. 63.3d , , , , 5.22d
,, स गतो राजा VII. 59.18c त्रिकोशं गम्य राघवौ III. 69.5b
, संविवेश ह VII. I06.I7d , भ्रातरौ तदा III. 69.8b
त्रिदिवाद्देवतामिव VI. II6.33d त्रिः खल त्वां ब्रवीम्यहम् II. I4.9d त्रिदिवे पर्यवस्थिता VII. 99.15d त्रिगुणोऽष्टादशात्मकः I. I4.29d
त्रिधा निविष्टा महती VI. 4.107c त्रिजटं जनसंसदि II. 32.33b
विधामा त्रिदशार्चितः VII. 36.7) त्रिजटस्याश्रमं प्रति II. 32.39d
विधेव रचिता लक्ष्मीः IV. I7.7c त्रिजटां तामिदं वचः V. 27.7d
त्रिनतं मेघनिज़दम् VI. 7I.I8a त्रिजटा वाक्यमब्रवीत् V. 58.86b
.., रुक्मभूषितम् VI. 45 24d त्रिजटास्वप्नदर्शनम् I. 3.3Id
त्रिपञ्चरात्रादूर्ध्वं यः IV. 29.32a त्रिजटास्वप्नसंश्रितम् V. 27.9b
त्रिपुरै जनुषः पूर्वम् III. 64.72c बिजटो नाम वै द्विजः II. 32.29b त्रिपुर नं नरश्रेष्ठ I. 75.12c त्रिजटो वाक्यमब्रवीत् II. 32.34b
, यथा शिवम् I. 74.I9d त्रिताम्रस्त्रिषु च स्निग्धः V. 35.17c त्रिपुरारिं त्रिलोचनम् VII. 63b त्रिदशगणैरभिसंवृतो महेन्द्रः VI. 108.34d त्रिपुरे शंकरो यथा VII. 21.4Id त्रिदशपतिं परिगृह्य रावणिः VII. 29.40b त्रिः प्रकम्प्य गिरेस्तटम् VI. I0I.36d त्रिदशपतिस्त्रिदशाश्च निर्जिताः VII. 29.38d | त्रिभागबलसंवृत: V. 35.55d त्रिदरिपुः प्रथितो निशाचरेन्द्र : VII. 2937b , VI. 58.4d
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