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त्रिभिः काञ्चन पर्वतैः VI. 69.24d ,, किरीटैस्त्रिशिराः VI. 69.24d ,, परमया मुदा I. 14.33d अभिरेकैकमाहवे VI. 90.25b त्रिभिरेतेर्बुभूषसे II. I00.6od त्रिभिनैर्ऋतपुंगवैः VI. 70.I9d त्रिभिर्बाणेर जिह्मगैः VI. 70.18d त्रिभिर्बाणैः समाहतः VI. 43.20b त्रिमिलॊकैः समुदितः III. 45.15a त्रिमिर्विव्याध वक्षसि III. 26.9b त्रिभिर्व्याप्तो द्विशुक्लवान् V. 35.20b त्रिभिाप्नोति राघवः V. 35.20d त्रिभिश्चतुर्भिरेकैकम् VII. 69.I0c त्रिभिश्चन्द्रार्धवक्त्रैश्च III. 28.27c त्रिभिश्चान्यस्त्रिभिर्वाणः VI. 76.47c त्रिभिश्चिच्छेद लक्ष्मण: VI. I00.20b त्रिभिस्तैर्धातृभिः शपे VI. I9.2Id त्रिभित्रिभिर मित्रघ्नः VI. 46.18c त्रिभिस्त्रिभिरविज्ञातः 100.36c त्रिभित्रिवेणून् बलवान् III. 28.30a त्रिभिस्त्रीन्दशमिर्दश VI. 99.20b त्रिमित्रेताग्निसंनिभैः VII. 6.14b त्रिभी राक्षसपुंगवैः VI. 76.18b त्रिभ्यो युगेभ्यस्त्रीन्वर्णान् VII. 74.24c
, ,, ,. 25a त्रियम्बक इवौजसा VII. 46.2tb त्रियामा याति शर्वरी VI. 46.14d
,, यान्ति सांप्रतम् III. I6.12d त्रियोजनसहस्रं तु VI. 28.12c त्रिरग्निं ते परिक्रम्य I. 73.39c त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा VI. I05.29c त्रिरात्रं दर्पपूर्णासु VII. 86.15c त्रिरात्रमुषिता मार्गे I. 86.Ic त्रिरुपस्थाय वेधसे VII. 36.2d त्रिर्वदामि न संशयः I. 71.22b
| त्रिलोकजयकाङ्क्षिण: VI. I08.5d त्रिलोकनाथो ननु देवराजः VI. 15.5a त्रिलोकविदितं नृप III. 38.10b त्रिलोकहितकाक्षिणः I. 35.18b त्रिवर्गफलभोक्ता च IV. 38.23a त्रिवर्गमनुतिष्ठता I. 6.5b त्रिवलीमांच्यवनतः V. 35.18a त्रिविक्रमकृतोत्साहः VI. 65.3Ic त्रिविक्रम कृतोत्साहम् IV. 67.3c त्रिविक्रमान्प्रक्रमतः II. 25.35a त्रिविक्रमे मया तात IV. 66.32a त्रिविधं कर्म पातकम् II. I09.21d त्रिविधाः पुरुषा लोके VI. 6.6a त्रिविषाणैस्तथैव च V. 9.5b त्रिविष्टपनिभं दिव्यम् V. 4.26c त्रिविष्टपं ब्रह्मलोकम् I. 57.7a त्रिविष्टपे सहस्राक्षम् VII. 42.29c त्रिशकुमिदमब्रवीत् I. 60.12d त्रिशकुं पाकशासनः I. 60.16d त्रिशङ्कुरपतत्पुनः I. 60.19d त्रिशकुरिति विख्यातः I. 57.Ira
I. 60.2b त्रिशङ्कुरुदपद्यत II. IIO.IId त्रिशङ्कुर्विमलो भाति VI. 4.49a त्रिशङ्कुलोहिताङ्गश्च II. 4I.10a त्रिशङ्कुस्तु पृथोरपि I. 70.24b
, महातेजाः I.57.15a त्रिशङ्को गच्छ भूयस्त्वम् I. 60.17c त्रिशङ्कोरभवत्पुत्रः I. 70.240 त्रिशङ्कोरभवत्सूनुः II. II0.I2c त्रिशङ्कोरस्य भूपतेः I. 60.27b
, शाश्वतः I. 60.28b त्रिशतं पृथिवीपतीन् VII. 38.20d त्रिंशच्च हरिपुंगवाः VI. 26.30f त्रिंशतं तु गमिष्यामि IV. 65.4c
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