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________________ ३५६ ततो वै रावणात्मजः VI. 9.2d ,, वैवस्वतं दृष्ट्वा II. 64.38a ,, वैवाहिकं कुरु J. 71.23d ,, वैश्रवणो राजा VI. II7.2a ततोऽश्मनगरं नाम VII. 23.17a ततोऽश्वमेधः सुमहान् VII. 86.ga ततोऽसि वालीव वधार्ह बध्यः VI. 20.23d ततोऽस्तं गत आदित्ये VI. 75.4a ततोऽस्तमगमत्सूर्यः VI. 38.13a ततोऽस्तं भास्करे याते VII. 36.6oc ततोऽस्तुवन्मुनिगणाः I. 56.20a ततोऽस्त्राणि महातेजाः I. 54.23c ततोऽस्मिन्बहुलीभूते VI. 64.30a ततोऽस्मि वायुप्रभवो हि मैथिलि V. 35.88c ततोऽस्य धनमाजहुः II. 32.27a , मुसलं घोरम् VII. 32.43a , सशरं चापम् III. 28.15a " , , , 5I.Ioa , हार चन्द्राभम् VII. 40.25a ततो हत इति ज्ञात्वा VII. 69.15c , हतरथात्तस्मात् III. 27.16c ,, हताराक्षसपुंगवांस्तान VI. 73.1a ,, हतांस्तान्सहसा निशम्य VI. 73.2a ,, हते महावीर्ये VII. 86 2a ,, हतोऽसिवेगेन VII. 32 47a ,, हत्वा बलाध्यक्षान् VII. 23.26a ततो हनूमान्गिरिसंनिकाशः IV. 50.40a ,, हनूमान्संत्यज्य IV. 5.13c ततोऽहं तत्र निक्षिप्तः IV. 46.5a ,, ,. रामाय II. II8.50a ,, तस्य पास्यामि VI. I2.38c ततो हन्तासि राक्षसम् VII. 63 29d ततोऽहं तेन निष्क्रम्य IV. I0.24c , तैः समागम्य IV. 9.21a ,, द्रुतमागतः I. 75.26d ; ततोऽहमददां राज्यम् IV. 46.100 ततोऽहमन्यद्विम्तीर्णम् VII. 13.25a ततोऽहमपि सौहार्दात् IV. 9.६c. ततोऽहमभिधास्यामि II. 18.26c ततोऽहमहमित्येवम् VI. 69.10a ततोऽहमागां किष्किन्धाम् IV. 46.8c ततोऽहमेकाग्रमनाः VII. 30.20c ततोऽहं परमोद्विग्नः V. 58.64a , पूर्वमागतः II. 72.9d । , भृशदुःखितः I. 66.23b " , IV. 9 Id , ,, ,, I0.23d मानयामि त्वाम् V. I.1200 ,, मेघसंकाशः III. 38.16a ततो हयं मारुततुल्यवेगम् VI. 69.66a ,, हयरथाकीर्णम् VI. 73.27a ,, हयवरा मुख्याः II. I6.34c ,, हयैश्च संयोज्यः VI. 102.9c ,, हरिगणान्भग्नान् VI. 54.16a ,, हरिजटा नाम V. 23.9c ,, हरिर्गन्धवहात्मजस्तु VI.74.73a ।,, हरीणां तदनीकमुग्रम् VI. 61.39a 67.17a ,, हर्ष प्रपेदिरे I. 24.21b ,, हर्षसमीरितः II. 2.18b ,, हर्षसमुद्भुतः VI. 127.35a ,, हलहलाशब्दः II. I0.33c , 1037 ,, SI.IMa VII. 21.24c " , 32.33a ,, 96.12a हलहलाशब्दम् V. 58.63a ,, हास्यति वा सीताम् IV. I.IISc ।, हि कल्याणि यतस्व तत्तथा II. 9.616 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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