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ततो वाक्यं जगाद ह II. 41.180 , वाक्यं त्वगृचिवान् V. 67.7d ,, वाक्यमुवाच ह VII. 44.0b ,, , , ,, 6.4.13d ,, वाक्यं समाददे VI. II(). I2d ततोवाच प्रहस्यैतान VI. 95.9a
,, वचः शुभम् III. I3.12d ततो वाजिरथान्युक्त्वा II. 92.33a ,, वातात्मजो क्रुद्धः V. 43.16c ,, वादित्रशब्दाश्च II. 16.36c ,, वानरपत्नीनाम् VI. I2S.18a ततो वानर मोक्ष्यसे V. 50.IIb ,, वानरयूथपाः VI. 50.61b ,, वानरराजेन I. I.61c
, VI. 4.8a " " 4.23a
, ,, 4.42c वानर सेन्गेन ,, .12.38
, , 54. IIC ,, वायुः शुभः पुण्यः VII. 97.JIa
वायुः सुखंस्पर्शः I. 22.4a ,, वालिनमुद्यम्य IV. 25.28a ,, वासमुपागम्य VII. 46. I0c ,, विक्रममासाद्य VII. I3.47a ,, विचित्य विन्ध्यस्य IV. 48.2c
विचित्रकेयूर VI. 53.6a
विचुकुशुस्तत्र IV. 22.25a ,, वितिमिराः सर्वाः I. 76.23a ,, वित्रासयन्मान् VII. 20. Ia ,, विदुद्रुवुः सर्वे VII. 22.36a
विदूरे रामेण III. 57.14c ,, विद्याधरा भूताः VI. 71.65a ,, विद्राव्यमाणेषु VII. 27.43a ,, विनिक्षिप्य बलम् VI. 12.4a , विनेदुः सहसा प्रहृष्टाः VI. 67.21a
ततो ,, संहृष्टाः VI. I08.26a ,, विभीषणो नाम V. 58.147a ,, विभुश्चतुर्वक्त्रः VII. 5.12a ,, विमनसः सर्वे I. 66.1ia ,, विमानाग्रगतम् VI. 127.37a ,, विमुक्त्वा सशरं शरासनम् VI. III.I24a ,, विवृततां गतः II. 26.7d ,, विव्याध गात्रेषु VI. 100.12a , विशिष्टं पश्यामि II. II7.25a , विषण्णौ श्रान्तौ च II. 77.20a ,, विषण्णं समवेक्ष्य सर्वम् VI. 74.2a विषेदुः सहसा VI. 6I.Ic
,, प्लवंगा: VI. 67.60c , विष्णुमयं देवम् VII. II0.13a ,, विष्णुं महाबाहुम् VII. 7.31a
विष्णुश्चतुर्भागम् VII. I06.18a ,, विसृज्य तान्सर्वान् VII. 99.6a ,, ,, रुचिरम् VII. 82.Iga ,, विसृष्टा रामेण VI. 22.50a , विस्फारयामास VI. 75.35a
VI. 89.3a ,, विस्मयमापन्नाः VI. 4.12Ta ,, वृक्षैत्र शैलैश्च VII. 21.29a ,, वृणीष्व कैकेयि II. I0.38c ,, वृद्धतमस्तेषाम् IV. 65.10c ,, वृद्धमुपागम्य VI. 74.24a ,, वृषभमास्थाय VII. 4.27a ,, वेत्सि बलेनाद्य IV. 14.14a ,, वेदवती कुद्धा VII. I7.27a ,, वेदश्रुतिं नाम II. 49.9a ,, वैखानसं मार्गम् II. 52.7Ia ,, वैतसशाखाश्च II. 55.15a ., वै पृथिवी मया IV. 46.13b ,, , भृशमुद्विग्ना V. 3.43a , ,, यजमानस्य I. 16.IIa .
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