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संपूर्णेव च मेदिनी VI. 41.50b संपूर्ण शतयोजने IV. 58.20b संपूर्णौ निशितैर्बाणैः III. 12.34a संपृक्तं च नमोऽम्भसा VI. 4.II6b
,, नभसाप्यम्भः VI. 4.II6a संपृष्टेन तु वक्तव्यम् III. 40.9a. संपृष्टो राजपुत्रेण VI. 61.8a संपेतुश्चात्र संतप्ताः VI. 89.38c संप्रक्षाला मरीचिपाः III. 6.2b संप्रक्षुभितमानसम् I. 65.15d संप्रगृह्य कुशीलवो VII. 98.27d संप्रचिक्षिपुराहवे VI. 76.19b संप्रजज्वाल तेजसा VI. 90.Id संप्रजह्यान्मृते मयि IV. 22.16d संप्रणदितगोवृषाम् II. 7.5d संप्रणेदुर्मुहुर्मुहुः VI. 69.43b संप्रतस्थू रणाजिरे VI. 66.8d संप्रतस्थे महाबल: VI. 60.83d
,, 67.135d संप्रति प्रतिभाति मे II. 93.14d संप्रतिष्ठामहे कालः II. 56.2c संप्रत्यनाथो विषयः VII. 73.15a संप्रत्यनेकाश्रयचित्रशोभा IV. 30.29a संप्रत्यमितविक्रम V.64 35d संप्रत्येतावदेवाद्य IV. 65.17a संप्रत्येष पुरीमिमाम् I. 47.17b संप्रदाय रघूत्तमे V. 21.22b संप्रदास्यामि रामाय V. 13.55c संप्रदीप्तोऽभवत्क्रोधात् VI. I07.14a संप्रदृश्यन्त शैलेन्द्राः VI. 44.5c संप्रधार्य बलाबलम् III. 35.2d
" 37.23d , IV 8.42d ,, , V. 34.25b संप्रधार्य भवद्भिश्च IV. 42.56e
सप्रधार्थिनिश्चयम् IV. 41.10d संप्रधार्थिमात्मन: VI. 20.8d संग्रधृष्य च दुर्धर्षः V. 43.5a संप्रपुष्पितपादपे IV. 52.3b संप्रपेतुर्महास्वनाः VI. I06.24b संप्रभाभरणं देवम् III. 5.6c संप्रमध्याहृतानि मे V. 20.I7b संप्रयाणं वनस्य च II. I2.7Id संप्रयुज्य च तापसान् II. II6.15b संप्रयुद्धौ तु तौ दृष्ट्वा VI. I07.3a संप्रविव्यथिरे चापि VI. 22.14a संप्रविश्य यथान्यायम् VI. II3.3a संप्रवृत्तं निशायुद्धम् VI. 44.2c संप्रवृत्ता निशा सीते II, II9.9a संप्रव्यथितचेतना I. 37.16b संप्रश्नोऽत्र न लभ्यते VI. 30.6b संप्रश्नोऽत्र न विद्यते VI. 24.20b संप्रसक्तस्य वैरस्य IV. 23.23a संप्रस्थिता मानसवासलुब्धाः IV. 28.16a संप्रस्थितो मेघरथं निशम्य IV. 28.32b संप्रस्रवत्तदा मेद: VI. 67.96a संप्रहर्षकरः श्रीमान् VII. 63.IMa संप्रहस्याभिवाद्य च VII. 20.18b संप्रहारस्तु सुमहान् III. 24.9a संप्रहारेवमर्षणः VI. 27.IId संप्रहारो न ते क्षमः VII. 18.15d संग्रहार्य यशस्विनि VI. II3.34d संप्रहृष्ट जनाकीर्णाम् II. 7.5a संप्रहृष्टतनूरुहः IV. 67.8d
V. 58.7b
VI. 125.25b संप्रहृष्टतरोऽभवत् V. 48.20d संप्रहृष्टमना भूत्वा VII. 87.26a संप्रहृष्टमना रामः I. 35.10e संप्रहृष्टमना हस्तम् IV. 5.12c
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