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________________ १२१४ सर्वशत्रुविनाशनम् VI. I05.4b सर्वशस्त्रभृतां मुख्यः VI. 12.IIC , वरः V. 35.73d ,, , VI. 28.23d , , , 72.2b , , VII. II.27b सर्वशस्त्रविदारणम् VI. 90.6ob सर्वशस्त्रसमाहता: VII. 21.30d सर्वशस्त्रास्त्रकोविदम् VI. 55.2d सर्वशाखामृगेन्द्रस्त्वम् IV. II.340 सर्वशाखामृगेन्द्रस्य VI. 26.13c सर्वशाखामृगेन्द्राणाम् VI. 28.28c सर्वशास्त्रविदां वरः IV. 66.2b सर्वशास्त्रविशारदम् I. 13.26d , II. 43.Igb ___VII. 58.4d सर्वशास्त्रविशारदः III. 5.32b ____ IV. 54:5b सर्वशास्त्रार्थकोविदः II. 100.64b ___VI. 2.16b सर्वशास्त्रार्थतत्त्वज्ञः I. I.15a सर्वशोकविनाशिनी V. 24.44d सर्वश्रुतिमनोहरम् I. 3.8d , , 4.28b सर्वसत्वदयावत: V. 30.6b सर्वसत्त्ववतां वरः I. 71.3d सर्वसत्त्वविवर्जितम् IV. 43.Igd सर्वसत्वानि यानीह VII. 81.9a सर्वसंक्षुभितेन्द्रियः VI: 88.42d सर्वसंग्रहण येषाम् I. 27.23a सर्वसंपत्तयो राम II. 25.21c सर्वसंस्कार संस्कृता V. 13.6od सर्वसंहारमब्रवीत् VII. I04.16d सर्वसीमन्तिनीभ्यश्च II. 16.44c सर्वसैन्यमुपासिताः VII. 6.45b सर्वसैन्यविसर्जनम् I. 3.38d सर्वसैन्यसमावृतः VI. 46.44b सर्वस्रोतांसि पूर्णानि I. 37.14c सर्वस्य च भयावहम् V. I.142b ,, नगरस्य च II. 3.13b ,, प्रियवादिनम् V. 24.24b ,, लोकस्य गिरः प्रहृष्टाः II. 15.43d ,, ,, हिते निविष्टम् II. 2.54b सर्वस्यान्तःपुरस्य च II. 20.2b सर्वस्यापि प्रियं वदः I. 38.23b सर्वस्वमेतत्सत्येन I. 53.150 सर्व कालायसं दीप्तम् VI. 65.18c ,, , महत् VI. 67.147b ,, कृत्यं विनाशितम् VI. 65.6d , गच्छेदरक्षितः VI. 18.30d ,, गहनपादपम् III. 69.9d ,, च कुशलं गृहे VI. 124:4d ,,, तद्विचेतव्यम् IV. 40.24a , , विदितं मह्यम् VII. 49.9c ,, सुखदुःखं ते VI. 124.9a चैतद्विनाशाय VI. 4.52a ,, चैवाङ्गदे दोषम् V. 62.30a ,, चैवोपजीविनाम् II. 34.6d ,, तत्राभ्यमन्त्रयत् VI. 73.24d ,, तत्रोपगायताम् VII. 94,Id ,, तत्कृतवानहम् VII. 72.10b ,, तत्खलु मे मोघम् VI. 60.5a ,, तथा चाकथयन्ममेति VII.77.21d ,, तदनुजानामि II. 50.43c ,, तदुपपद्येथाः VI. 20.33e ,, तद्गर्हितं गुणैः II. I04.6d , तस्य क्षमामहे I. 15.7d ,,तीर्णं च मे सैन्यम् VI. 2.12c " " "" " , 2I.c , तु दुःखं मम लक्ष्मणेदम् III. 63.6a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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