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सर्वं तु विदितं तुभ्यम् III. 9.32c ते गिरिगह्वरम् IV. 48.22b
,, तेनावलोकितम् V. 12. 18d
ते पृष्ठतः कृतम् VI. 116.16d
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तेभ्यः प्रयच्छति I. 29.8d ,, दुःखमतोवनम् II. 28.21d
नगर गुप्तये VI. 12.4b
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निखिलमादितः I. 5.4b
,निरवशेषतः V. 38.6b
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109.3b
निवर्तय क्षिप्रम् II. 22.4c
निवेदयन्ति स्म I. 13.320 परिसमुत्सुकम् II. 65.11b
पर्याकुलं जगत् II. 41.17d
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,. पर्वत संनद्धम् I. 37.21c
पुरुषशार्दूल VII. 83.15a
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पुष्टं प्रमुदितम् VII. I0.15a
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,, पुष्पमशातयत् V. 1. 12d
प्रकृतिमण्डलम् II ris.gd
प्रतिविधास्य से VI. 13.5d
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प्रादाद्यथाविधि III. 74.7b
प्रेत्य शुभाशुभम् IV. 21.2d
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ममैतद्विदितम् VI. 124.16a
मुदितमेवासीत् VI. 128.100a
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,, मृत्युपुरस्कृत्य VII. 22.42d
वक्तुमर्हसि II. 72.6d
IV. 51.19f
शंस भगवन् I. 20. 14C
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28.20a यच्चापि मां प्रति VI. 125.14d
युधि निपातितम् III. 31.40d
राघव यद्यथा V. 65.27b राममनुव्रतम् VII. 1og.16d
वनं निर्झरकन्दरं च IV. 1. 126b
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VII. 43.9d
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१२१५
सर्वं वाल्मीकिना कृतम् VII. 98. 17d
विधिवदर्चितम् II. 65. 10b
विप्राय निश्चितः I. 65.6b
विस्तरतो राम VII. 98. 16c
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वै मण्डलं भुवः IV. 46.1d
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विचचार छ V. 38.31d
VII. 9.1d
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व्यपानयच्छोकम् III. 64.13a
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शुश्राव तत्त्वतः V. 30.1b
सचिवमण्डलम् II. 101.13b सलिलमेवासीत् II. 110.3a
संपद्यते तव I. 65.26b
IV. 7.2od
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संमन्त्र्यतां मम VI. 6.18f
सर्वः प्रमुदितो जनः II. 6.gd
शोकपरायणः II. 41.16d
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सर्वा एव समुत्सुकाः I. 10. 18b aियस्ताश्च VII. 88.21c एवान्भीता: V. 27.70 सर्वाङ्गगुणसंपन्न V. 20.3c सर्वा जग्मुर्यथागतम् I. 65.26d सर्वाशिष्यान्समाहूय I. 59.7a सर्वाणि कपिकुञ्जरः III. 72.22d
चाङ्गोपाङ्गानि VI. 46.29c
लक्ष्मण शोकवेगम् III. 63.5c
संमानयञ्जनम् II. 19.38b
सामात्यकं बलम् IV. 60.16d
सुगुणलक्ष्मीवत् II. 65. IOC
सुराणां कर्मैतत् I. 63.11a
सैन्यं निपातितम् VI. 47.16d
हि तमसावृतम् VII. 28.48d
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रघुनन्दन I. 56.12d रामगमने VII. 109. 21c विदितात्मन: VI. 103.25b
शरणं यामि III. 49.33c
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