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________________ अयोध्यां पुनरागतम् II. 25.41b 64.71d " 33 VI. 127.55d "" 33 VII. 102.13d अयोध्यां पुनरागम्य VII. 102.14C अयोध्यां पुरुषर्षभ VII. 39.12b अयोध्यां पूरयामास II. 6.8c अयोध्यां प्रति गच्छतः VI. 124.20b अयोध्यां प्रति यास्यसि VI. 4. 45b अयोध्यां प्रति यास्यामि VI. 122.17a अयोध्यां प्रविवेश सः VI. 128.41d अयोध्यां प्रविवेश ह VII. 99.6d अयोध्यां प्रविशेमहि II. 51.25d अयोध्यां प्रस्थितो रामः I. 1. 860 अयोध्यां प्राप्य काकुत्स्थ: VII. 82.18c अयोध्यां प्रेषयामास I. 67.270 अयोध्यां भरतः क्षिप्रम् II. 114. IC अयोध्यां मनुजर्षभ II. 21.1ob अयोध्यां मनुना राज्ञा II. 71.18a अयोध्यां मन्थरा तस्मात् II. 7.20 अयोध्यां मन्थरा दृष्ट्वा II. 7.6c अयोध्याया इव स्वन: IV. 28 56d अयोध्यायां च सचिवा: VI. 128.33a अयोध्यायां जनः सर्वः II. 41.15c 44.18c अयोध्यायां जनाकुलः I. 1. 18b अयोध्यायां त्वमेवाद्य II. 34.26c अयोध्यायां दृढव्रतः II. 115.1b अयोध्यायां द्विजातयः II. 88.2gb अयोध्यायाः पतिं वीरम् VII. 107.20 अयोध्यायाः पती राम: VII. 51.19c अयोध्यायामवतता II 67.1c अयोध्यायां परंतप II. 103.12b अयोध्यायां पुरा राजा VII. 67,5a अयोध्यायां पुरा शब्दः II. 71.21c "" "" 33 22 33 " Jain Education International ५८ अयोध्यायां बले कोशे II. 90.7a अयोध्यायां महाप्राज्ञ II. 113.120 अयोध्यायाश्च गमनम् I. 3.37c अयोध्यायाश्च ते मार्गम् VI. 125.6a अयोध्यायायुताचेति II. 52.28 अयोध्याssयुधिनां वर II. 53.2gb अयोध्यां याहि राघव II III. 18d अयोध्यां रघुनन्दन 1. 73.4d अयोध्यां रत्न संपूर्णाम् VII. 52.20 अयोध्यां वनवासात्तु II. 52.91c अयोध्यां विजनां कृत्वा VII. 108.50 अयोध्यां वो गमिष्यसि VI. 12417d अयोध्यां संददर्श ह II. 113.23b अयोध्यां समनुप्राप्य II. 57.5c अयोध्यां संप्रविश्यैव II. 114.28a अयोध्यां सह मन्त्रिभिः II. 118.1gd अयोध्या हि भवेदस्याः II. 60.1IC अयोध्येव जनाकीर्णा II. 93.140 अयोनिजस्त्वं भविता VII. 56.100 अयोनिजां हि मां ज्ञात्वा II. 118.37a अयोमुखश्च गन्तव्य: IV. 41.13a अयोमुखानां शूलानाम् III. 47.44c अयोमुखैस्त्रिमिर्विद्धा VI. 90.40a अरक्षितारं राजानम् I. 61. 70 अरजस्कं तदाक्षोभ्यम् VII. 77.6a अरजां नाम राजेन्द्र VII. 80. 8c अरजापि रुदन्ती सा VII. 80. 18a अरजामिदमब्रवीत् VII. 81.13b अरजे वाससी दिव्ये VI. 128.78c अरजे वाससी बिभ्रन् III. 72.4c अरजे विज्वरा भुङ्क्ष्व VII. 81.14c अरजोवस्त्रमुत्तमम् V. 18.24b अरणिं चोत्तरारणिम् VI. 111.116b अणि तत्र निक्षिप्य VII. 57.18a अरण्यं च सह भ्रात्रा IV. 62.5a For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002794
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1961
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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