SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 433
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धर्मशास्त्र का इतिहास आदि क्रियाएँ भारतीय स्वतन्त्रता के संग्राम की बलिवेदी पर होने वाले यज्ञों की महान् आहुतियाँ एवं विरोधी घटनाएँ हैं। ____ लार्ड मेकाले ने अपने 'मिनट ऑन इण्डियन एडूकेशन' में अंग्रेजी माध्यम द्वारा शिक्षा की व्यवस्था की वकालत की। उसने लिखा है :--'हमें इस समय एक ऐसे वर्ग की स्थापना करनी है, जो हमारे और उन करोड़ों लोगों के बीच में, जिन पर हम शासन करते हैं, व्याख्याता का काम करें, यह ऐसे लोगों का वर्ग हो जो जन्म एवं रंग से तो भारतीय हों, किन्तु प्रवृत्ति , सम्मति, नैतिकता एवं प्रज्ञा में अंग्रेजीयत रखते हों। फलतः सभी विषयों को इंगलिश के माध्यम से पढ़ने में समय एवं उद्योगों का व्यर्थ क्षय होता रहा, यहाँ तक कि संस्कृत भी उसी माध्यम से पढ़ायी जाती रही है। इस प्रकार की प्रणाली के अपनाने से अध्ययन-अध्यापन में समानुपात की स्थापना नहीं हो पाती थी, विज्ञान एवं प्राविधिक ज्ञान का अध्ययन नाम मात्र को हो पाया और पढ़े-लिखे लोगों तथा अपढ़ लोगों के बीच एक लम्बी-चौड़ी खाई खुद गयी। इस प्रणाली ने पाश्चात्य संस्कृति को गौरव प्रदान कर दिया और भारतीयों को अपनी संस्कृति को पढ़ने एवं मूल्यांकन करने की ओर प्रवृत्त नहीं किया। पढ़े-लिखे लोग, विशेषतः अंग्रेजी शिक्षा के आरम्भिक काल में, पाश्चात्य संस्थाओं के प्रति अतिशयोक्तिपूर्ण सम्मान की भावना रखते थे और अपनी धार्मिक एवं सामाजिक प्रणालियों की भर्त्सना किया करते थे। ब्रिटिश राज्य ने भारतीय शिक्षा (विशेषत: उच्च शिक्षा) में उदासीनता प्रदर्शित की। सारे भारत के लिए सन् १८५७ में केवल तीन विश्वविद्यालय (बम्बई, कलकत्ता, एवं मद्रास) स्थापित किये गये और वे भी केवल परीक्षा लेने वाले विश्वविद्यालय मात्र थे। कुछ वर्षों पूर्व तक एक भारतीय दर्शन में एम० ए० परीक्षा तो उत्तीर्ण करता था, किन्तु उसे भारतीय दर्शन नहीं पढ़ाया जाता था ! किन्तु इतना सब होने पर भी अंग्रेजी शिक्षा की प्रणाली ने सरकार एवं ईसाइयों के प्रयत्नों एवं इच्छाओं के विरुद्ध परिणाम प्रस्तुत किये। ईसाई पादरियों को कुछ भी सफलता नहीं प्राप्त हुई, बहुत थोड़े-से और वे भी हीन जाति के लोग, ईसाई बन सके। सरकार को भी यह विदित हो गया कि इंगलिश साहित्य के अध्ययन से, यथा-बर्क, स्पेंसर, मिल आदि की कृतियों के अध्ययन से पढ़े-लिखे लोगों के मन में राष्ट्रीयता की भावना घर करने लगी, अत: उन्हें अपनी अधम राजनीतिक स्थिति के विषय में परिज्ञान होने लगा। क्रमशः राजनीतिक उद्वेग उठने लगा। अंग्रेजों ने लोकमान्य तिलक को 'दि फादर आव इण्डियन अरेस्ट' ('भारतीय अशान्ति का जनक') कहा। सन् १६२० में तिलक का देहावसान हो गया । किन्तु अब सारा भार महात्मा गांधी की ओर झुक गया, जिन्होंने राजनीतिक शक्ति एवं तज्जनित स्वतन्त्रता के लिए विद्रोह करते हुए सत्याग्रह की प्रणाली अपनायी। १. देखिए 'मिनट आन इण्डियन ऐडूकेशन के साथ मेकाले के भाषण (जी० एम० यंग द्वारा सम्पादित, आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, १६५२)! पृ० ३५५-३६१ पर मिनट है। पृ० ३४६ पर निम्नलिखित वक्तव्य है : 'मैंने यहाँ एवं अपने देश में उन लोगों से बातें की हैं, जो पूर्वी भाषाओं के ज्ञाता होने के कारण प्रसिद्ध हैं। उनमें एक भी ऐसा नहीं मिला जिसने यह न स्वीकार किया हो कि किसी एक अच्छे यूरोपीय पुस्तकालय की केवल एक आलमारी में जितनी पुस्तकें पायी जाती हैं वे भारत एवं अरब के सम्पूर्ण साहित्य के बराबर हैं।' ऊपर दिया हुआ उद्धरण पृ० ३५६ पर है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002793
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy