________________
हिन्दू संस्कृति एवं सभ्यता की मौलिक एवं मुख्य विशेषताएँ
४१३
कृत 'दि म्यूजिक आव इण्डिया' (कलकत्ता, १६५०), ओ० गोस्वामी कृत 'दि स्टोरी, आव इण्डियन म्यूज़िक (बम्बई, १६५७ ), जो० एच्० रानाडे कृत 'हिन्दुस्तानी म्यूज़िक एण्ड आउटलाइन आव इट्स फिज़िक्स एण्ड एस्थेटिक्स' (पूना,
१६५१) ।
भारतीय वास्तुकला एवं मूर्तिकला सम्बन्धी प्रतीकवाद जावा, बाली तथा इण्डोनेशिया के अन्य भू-भागों में फैला। इस विषय में बहुत-से ग्रन्थ लिखे गये हैं, यथा --- पाल मुस कृत 'बराबुदोर', जी० गोरेर कृत 'बाली एण्ड ऐंग्कोर, कुआरिश वेल्स कृत 'टुअस ऐंग्कोर' तथा डब्ल्यू. एफ्०स्टटरहीम कृत 'इण्डियन इंफ्लुएन्सेज इन बालीनीज़ आर्ट' ( लण्डन, १६३५ ) ।
भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की कुछ अन्य विशेषताओं पर भी प्रकाश डाला जा सकता था, किन्तु सूची लम्बी हो चुकी है और जो कुछ कहा जा चुका है, पर्याप्त है । यह नहीं प्रदर्शित किया गया है कि किसी अन्य संस्कृति में इतनी विशेषताएँ नहीं हैं । किन्तु इतना तो कहने का अधिकार है ही कि कोई अन्य संस्कृति ऐसी नहीं हैं जिसमें - इतनी विशेषताएँ अब भी पायी जाती हों, या अतीत में पायी गयी हों। कुछ अनुपम विशेषताएँ तो ऐसी हैं — मनुष्य निम्न कोटि के प्राणियों एवं निर्जीव पदार्थों में समाहित रहने वाले एक तत्त्व से सम्बन्धित वेदान्त की अद्भुत एवं सुन्दर धारणा, धार्मिक एवं दार्शनिक दृष्टिकोणों में विभेद रहते हुए भी सभी युगों में महान् सहिष्णुता की भावना तथा सत्य एवं अहिंसा पर बल देना । ये अद्भुत स्थापनाएँ हैं और अन्यत्र नहीं पायी जातीं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org