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________________ १६४२ स्मृतिसारसंग्रह - विश्वनाथ द्वारा। विज्ञानेश्वर, कल्पतर, विद्याकरपद्धति का उल्लेख है। ट्राएनिएल कैट० मद्रास गवर्नमेण्ट पाण्डु० ( १९९९-२२, पृ० ४२६४; सं० २९४४)। स्मृतिसारसंग्रह - वेंकटेश द्वारा । स्मृतिसारसंग्रह - वैद्यनाथ द्वारा । धर्मशास्त्र का इतिहास आह्निक, काल, आशौच एवं शुद्धि पर चार तरंगों में विभक्त । दे० भण्डारकर की रिपोर्ट (१८८३-८४, पृ० ५२) बी० बी० आर० ए० एस० ( पृ० २३९, सं० ७४८) एवं ऑफेस्ट कैट ० ( २८५ बी० ) । इसका कथन है कि मध्वाचार्य का जन्म ११२० ( शक संवत् ) में हुआ था । कमलाकर एवं स्मृतिकौस्तुभ का उल्लेख है । सन् १६७५ ई० के उपरान्त । स्मृत्यर्थसार - नीलकण्ठाचार्य द्वारा । से० प्रा० कैट० (सं० ६७३३) । स्मृत्यर्थसार मुकुन्दलाल द्वारा । · स्मृतिसारसमुच्चय- घरेलू व्रतों पर । शौच, ब्रह्मचारी, आचार, दान, द्रव्यशुद्धि, प्रायश्चित्त पर २८ ऋषियों के उद्धरण हैं । दे० इ० आ० ( पृ० ४७७, सं० १५५६) एवं अलवर (उद्धरण, ३७२ ) जहाँ यह आया है कि इसे धर्मशास्त्ररुचि ने लिखा है। स्मृतिसारसमुच्चय- हरिनाथ द्वारा । यह उपर्युक्त स्मृत्यर्थसारसमुच्चय-- बड़ोदा ( ४०८८), शौच, आचमन, स्मृत्यर्थसार - श्रीधर द्वारा । दे० प्रक० ८१ । दन्तधावन आदि पर २८ ऋषियों के दृष्टिकोणों के सार दिये हुए हैं। पाण्डुलिपि की तिथि है संवत् १७४३ । २८ ऋषि ये हैं —— मनु, याज्ञवल्क्य, विश्वामित्र, अत्रि, कात्यायन, वसिष्ठ, व्यास, उशना, बौधायन, दक्ष, शंख, लिखित, आपस्तम्ब, अगस्त्य, हारीत, विष्णु, गोभिल, सुमन्तु, मनु स्वायंभुव, गुरु, नारद, पराशर, गर्ग, गौतम, यभ, शातातप, अंगिरा, संवर्त । स्मृत्यालोक -- बिहार एवं उड़ीसा कैट० (भाग १, सं० ४४९। स्मृतिसार ही है । स्मृतिसारसर्वस्व -- वेंकटेश द्वारा । वेंकटेशकृत आशौच निर्णय ही है। स्मृतिसारसागर -- रघु के तिथितत्त्व में व० । स्मृतिसारावलि नि० सि० में व० । स्मृतिसारोद्धार -- दे० चक्रनारायणीय निबन्ध । बनारस में प्रका० । स्मृतिसिद्धान्तसंग्रह - इन्द्रदत्त उपाध्याय द्वारा । स्मृतिसिद्धान्तसुधा -- रामचन्द्र बुध द्वारा । अ पंचषष्टि पर एक टीका । स्मृतिसिन्धु - श्रीनिवास द्वारा, जो कृष्ण के शिष्य थे । बर्नेल (तंजौर कैट०, पृ० १३५ ए ) । वैष्णवों के लिए । स्मृतिसुधाकर - (या वर्ष कृत्यनिबन्ध) सुधाकर के पुत्र ओझाशंकर द्वारा। नो० (भाग ४, पृ० २७१) । स्मृतिसुधाकर -- शंकरमिश्र द्वारा । १६०० ई० के लग० । जे० बी० ओ० आर० एस० (१९२७, भाग ३-४, पृ० १०१ । स्मृत्यधिकरण । स्मृत्यर्थनिर्णय - ( व्यवहार पर ) । स्मृत्यर्थरत्नाकर - इसे स्मृत्यर्थसार भी कहा जाता है । स्मृत्यर्थसागर -- नारायण के पुत्र छल्लारि नृसिंहाचार्य द्वारा । मध्वाचार्य की सदाचारस्मृति पर आधारित । Jain Education International स्वत्वरहस्य ---- ( या स्वत्वविचार ) अनन्तराम द्वारा । स्वत्ववाद - ट्राएनिएल कैट०, मद्रास गवर्नमेण्ट पाण्डु ० ( १९१९-२३, पृ० ४७८२)। स्वत्वविचार - नो० न्यू० (भाग २, पृ० २२६) । स्वत्वव्यवस्थार्णवसेतुबन्ध-- रघुनाथ सार्वभौम द्वारा । विभागनिरूपण, स्त्रीधन, स्त्रीधनाधिकारी, अपुत्रधनाधिकार पर ६ परिच्छेद । स्वर्गवाद-स्वर्गवाद, प्रतिष्ठावाद, सपिण्डीकरणवाद पर। नो० न्यू० ( भाग २, पृ० २२९ ) । स्वर्गसाधन -- रघुनन्दनभट्टाचार्य द्वारा प्रसिद्ध रघुनन्दन से भिन्न लेखक । श्राद्धाधिकारी, अन्त्येष्टिपद्धति, आशौचनिर्णय, वृषोत्सर्ग, षोडशश्राद्ध, पार्वणश्राद्ध आदि पर । नो० न्यू० (भाग १, पृ० ४१७ ) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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