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________________ धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची १६४१ पृ० ४७५)। यह चतुविशतिमत पर भट्टोजि की टीका स्मृतिसार-महेश द्वारा। जन्म-मरण के आशौच पर। भी हो सकती है। नो० (३, पृ० ४८)। स्मृतिसंग्रहसार--महेशपंचानन द्वारा। रघु० के स्मृति- स्मृतिसार-मुकुन्दलाल द्वारा। तत्त्व पर आधृत। नो० (६, पृ० २३५।। स्मृतिसार याज्ञिकदेव द्वारा। दायभाग, श्राद्ध, यशोस्मृतिसमुच्चय--बम्बई विश्वविद्यालय लाइब्रेरी की पवीत, मलमास, आचार, स्नान, शुद्धि, सापिण्ड्य, पाण्डु०, लगभग ५०० पद्यों में; आह्निक, शौच, आशौच पर विभिन्न स्मृतियों से एकत्र ३११ श्लोक । स्नान, एकादशी आदि पर। गरुडपुराण के उद्धरण ड० का० पाण्डु० (सं० १८१, १८९५-१९०२) की तिथि संवत् १६५२ (१५९५-९६ ई०) है। स्मृतिसमुच्चय--(आचारतिलक या लध्वाचारतिलक स्मृतिसार-यादवेन्द्र द्वारा। कृष्णजन्माष्टमी, राम से) दन्तधावन, स्नान, संध्या आह्निक, श्राद्ध, एका- नवमी, दुर्गोत्सव, श्राद्ध, आशौच, प्रायश्चित्त जैसे दशी आदि पर ३२१ श्लोक (बड़ोदा सं० ७३३१ । उत्सवों एवं कृत्यों पर। धर्मप्रवृत्ति द्वारा व०। स्मृतिसमुच्चय--विश्वेश्वर कृत। जे० बी० ओ० आर० इ० आ० कैट० (पृ० ४७७);. नो० (भाग ४, पृ० -एस्. (१९२७, भाग ३-४,पृ०६) में आया है कि यही २१३) की पाण्डु० की तिथि शक १६१९ है। ग्रन्थ जीमूत० के कालविवेक, हेमाद्रि (कालनिर्णय) स्मृतिसार-श्रीकृष्ण द्वारा। ३।२।६८६, रघु० के दिव्यतत्व एवं शूलपाणि के स्मृतिसार-हरिनाथ द्वारा। दे० प्रक० ९१। इसे तिथिविवेक में वर्णित है। स्मृतिसारसमुच्चय भी कहते हैं। स्मृतिसरोजकलिका-विष्णुशर्म द्वारा ८ खण्डों में; स्मृतिसार-(या आशौचनिर्णय) वेंकटेश के एक ग्रन्थ की स्नान, पूजा, तिथि, श्राद्ध, सूतक, दान, यज्ञ, प्रायश्चित्त टीका । पर। इसमें २८ स्मृतिकारों के नाम आये हैं। दे० स्मृतिसारटीका--कृष्णनाथ द्वारा। ट्राएनिएल कैट०, मद्रास गवर्नमेण्ट पाण्डु० १९१९- स्मृतिसारप्रदीप- रघुनन्दन द्वारा। २२ (पृ० ४३६०, सं० २९९७)। स्मृतिसारव्याल्या-विद्यारत्न स्मार्तभट्टाचार्य द्वारा। स्मृतिसरोजसुन्दर--(या स्मृतिसार) दे० सरोजसुन्दर। स्मृतिसारसंग्रह--कृष्णभट्ट द्वारा। स्मृतिसर्वस्व-हुगली जिले के कृष्णनगर निवासी नारायण स्मृतिसारसंग्रह-चद्रशेखरवाचस्पति द्वारा। द्वारा। इ० आ० कैट० (पृ० ४४८)। १६७५ ई० स्मृतिसारसंग्रह-पुरुषोत्तमानन्द द्वारा, जो परमहंस पूर्णाके पूर्व। इसने शक १६०३ (१६८१ ई०) में आने नन्द के शिष्य थे। आह्निक, शौच, स्नान, त्रिपुण्ड्र, वाले क्षयमास का उल्लेख किया है। क्रमसंन्यास, श्राद्ध, विरजाहोम, स्त्रीसंन्यासविधि, स्मृतिसागर-कुल्लूकभट्ट द्वारा। दे० गोविन्दार्णव। क्षौरपर्वनिर्णय, यतिपार्वणश्राद्ध पर। शूलपाणि के दुर्गोत्सवविवेक, गोविन्दानन्द की शुद्धि- स्मृतिसारसंग्रह--महेश द्वारा। दे० व्यवस्थासारसंग्रह। कोमुदी एवं रघु० के प्रायश्चित्ततत्त्व में इसका उल्लेख स्मृतिसारसंग्रह-याज्ञिकदेव द्वारा। कुछ संवर्धनों के साथ यह स्मृतिसार ही जैसा लगता है। यहाँ ४५९ स्मृतिसागर-नारायणभट्ट के प्रायश्चित्तसंग्रह एवं रघु० श्लोक हैं। इ० का. पाण्डु० (सं० ३४४, १८८६ के मलमासतत्त्व में व०। स्मृतिसार--केशवशर्मा द्वारा। विभिन्न तिथियों में स्मृतिसारसंग्रह-वाचस्पति द्वारा। रघु० का उल्लेख किये जाने वाले कृत्यों पर १३५९ श्लोक। है। इ० आ० (पृ. ४३०) । स्मृतिसार-नारायण द्वारा। स्मृतिसारसंग्रह-विद्यानन्दनाथ द्वारा। ९२)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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