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________________ १६१२ कंस विपरीत नक्षत्रों के कारण पीड़ित हुए। इसमें अयुतहोम, लक्षहोम, कोटिहोम, नवग्रहहोम आदि पर विवेचन है। माध्यन्दिनीय शाखा से मन्त्र लिये गये हैं। ड० का० पाण्डु० सं० १०४ (१८७१७२) । शान्तिकौमुदी --- रामकृष्ण के पुत्र कमलाकर भट्ट द्वारा । सम्भवतः यह शान्तिकमलाकर ही है। शान्तिकौस्तुभ - से० प्रा० कैटलॉग (सं० ५५८५) । शान्तिगणपति गणपति रावल द्वारा । लग० १६८५ ई० । धर्मशास्त्र का इतिहास शान्तिचन्द्रिका --- कवीन्द्र द्वारा । काव्यचन्द्रिका ( लेखक कृत) में व० । दे० औफेट ( पृ० २११ बी ) । शान्तिचरित्र । शान्तिचिन्तामणि --- कुलमुनि द्वारा । लेखक के नीतिप्रकाश में व० । शान्तिचिन्तामणि - मोढ जाति के विश्राम - पुत्र शिव राम द्वारा । शान्तितस्वामृत - ( या शान्तिकतत्त्वामृत ) नारायण चक्रवर्ती द्वारा । अद्भुतसागर का उल्लेख है । शान्ति की परिभाषा यों है--' यथा शस्त्रोपघातानां कवचं विनिवारणम् । तथा देवोपघातानां शान्तिभवति वारणम् एतेन अदृष्टद्वारा ऐहिकमात्रानिष्टनिवारणं शान्ति: ।' शान्तिवीपिका- रघु० द्वारा शुद्धितत्त्व, संस्कारतत्त्व, एकादशीतत्त्व, श्राद्धतत्त्व ( पृ० १९५ ) में व० । शान्तिनिर्णय । शान्तिपद्धति- विश्राम के पुत्र शिवराम द्वारा । सामवेद के अनुसार नवग्रहों की शान्ति के कृत्यों पर । लेखक छन्दोगानयाह्निक भी लिखा है । पाण्डु० (इण्डि० आ०, पृ० ५७० सं० १७६२ ) की तिथि सं० १८०६ (१७४९-५० ई०) है | शान्तिपारिजात --- अनन्तभट्ट द्वारा । शान्तिपुस्तक । शान्तिपौष्टिकवर्धमान कृत । शान्तिप्रकरण बौधायनीय । Jain Education International शान्तिप्रकार- गोभिल द्वारा । कर्मप्रदीप के प्रथम ७ अध्याय । शान्तिप्रकाश वीरमित्रोदय से । शान्तिभाष्य- -वेदमिश्र द्वारा | यह वासिष्ठीभाष्य ही है । शान्तिमयूख --- नीलकण्ठ द्वारा दे० प्रक० १०७ । बम्बई में जे० आर० घरपुरे द्वारा प्रका० । शान्तिरस्न -- ( या शान्तिरत्नाकर कमलाकर भट्ट द्वारा । ० प्रक० १०६ ( बी० बी० आर० ए० एस० कैट०, पृ० २३४, सं० ७२९ ) । दे० 'शान्तिकमलाकर ।' शान्तिविवेक - विश्वनाथ द्वारा । ग्रहों की शान्ति के कृत्यों पर ( मदनरत्न का एक अंश ) । दे० अलवर (३५३) । शान्तिसर्वस्व नि० सि० एवं संस्कारकौस्तुभ में उ०शान्तिसार - दलपतिराज द्वारा (नृसिहप्रसाद का अंश ) । शान्तिसार -- रामकृष्ण के पुत्र दिनकरभट्ट द्वारा। अयुतहोम, लक्षहोम, कोटिहोम, ग्रहशान्ति, वैनायकीशान्ति, विवाहादी रुशान्ति नामक शान्ति कृत्यों पर । बम्बई में कई बार मुद्रित । शान्तिहोम - माधव द्वारा । शान्त्युद्योत — मदनरत्न का अंश । दे० प्र० ९४ । शापविमोचन - मदनरत्न का अंश । दे० प्रक० ९४ । शाम्बव्यगृह्यसूत्र । शारदाक्रमदीपिका -- दुगौत्सवविवेक में एवं रघु० द्वारा व० । शारदातिलक - वारेन्द्रकुल के विजयाचार्यात्मज श्रीकृष्ण के पुत्र लक्ष्मणदेशिकेन्द्र द्वारा । तान्त्रिक ग्रन्थ, किन्तु धर्मशास्त्र-ग्रन्थों में बहुधा उद्धृत हुआ है । सर्वदर्शनसंग्रह एवं रघु के दिव्यतत्त्व द्वारा व० । १३००ई० के पूर्व । टी० १४४९-५० ई० में रामवाजपेयी द्वारा कुण्डमण्डपलक्षण में व० टी० गूढार्थदीपिका, श्रीराम भारती के शिष्य त्रिविक्रमज्ञ द्वारा। टी० गूढार्थप्रकाशिका, कामरूपपति द्वारा। टी० गूढार्थसार, विक्रमभट्ट द्वारा | टी० काशीनाथ द्वारा। टी० तन्त्रप्रदीप, लक्ष्मणदेशिक द्वारा। टी० तन्त्रप्रदीप, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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