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कंस विपरीत नक्षत्रों के कारण पीड़ित हुए। इसमें अयुतहोम, लक्षहोम, कोटिहोम, नवग्रहहोम आदि पर विवेचन है। माध्यन्दिनीय शाखा से मन्त्र लिये गये हैं। ड० का० पाण्डु० सं० १०४ (१८७१७२) ।
शान्तिकौमुदी --- रामकृष्ण के पुत्र कमलाकर भट्ट द्वारा । सम्भवतः यह शान्तिकमलाकर ही है। शान्तिकौस्तुभ - से० प्रा० कैटलॉग (सं० ५५८५) । शान्तिगणपति गणपति रावल द्वारा । लग० १६८५ ई० ।
धर्मशास्त्र का इतिहास
शान्तिचन्द्रिका --- कवीन्द्र द्वारा । काव्यचन्द्रिका ( लेखक कृत) में व० । दे० औफेट ( पृ० २११ बी ) । शान्तिचरित्र ।
शान्तिचिन्तामणि --- कुलमुनि द्वारा । लेखक के नीतिप्रकाश में व० ।
शान्तिचिन्तामणि - मोढ जाति के विश्राम - पुत्र शिव
राम द्वारा ।
शान्तितस्वामृत - ( या शान्तिकतत्त्वामृत ) नारायण चक्रवर्ती द्वारा । अद्भुतसागर का उल्लेख है । शान्ति की परिभाषा यों है--' यथा शस्त्रोपघातानां कवचं विनिवारणम् । तथा देवोपघातानां शान्तिभवति वारणम् एतेन अदृष्टद्वारा ऐहिकमात्रानिष्टनिवारणं शान्ति: ।'
शान्तिवीपिका- रघु० द्वारा शुद्धितत्त्व, संस्कारतत्त्व, एकादशीतत्त्व, श्राद्धतत्त्व ( पृ० १९५ ) में व० । शान्तिनिर्णय । शान्तिपद्धति- विश्राम के पुत्र शिवराम द्वारा । सामवेद के अनुसार नवग्रहों की शान्ति के कृत्यों पर । लेखक छन्दोगानयाह्निक भी लिखा है । पाण्डु० (इण्डि० आ०, पृ० ५७० सं० १७६२ ) की तिथि सं० १८०६ (१७४९-५० ई०) है |
शान्तिपारिजात --- अनन्तभट्ट द्वारा ।
शान्तिपुस्तक ।
शान्तिपौष्टिकवर्धमान कृत । शान्तिप्रकरण बौधायनीय ।
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शान्तिप्रकार- गोभिल द्वारा । कर्मप्रदीप के प्रथम ७
अध्याय ।
शान्तिप्रकाश वीरमित्रोदय से । शान्तिभाष्य- -वेदमिश्र द्वारा | यह वासिष्ठीभाष्य ही है ।
शान्तिमयूख --- नीलकण्ठ द्वारा दे० प्रक० १०७ ।
बम्बई में जे० आर० घरपुरे द्वारा प्रका० । शान्तिरस्न -- ( या शान्तिरत्नाकर कमलाकर भट्ट द्वारा ।
० प्रक० १०६ ( बी० बी० आर० ए० एस० कैट०, पृ० २३४, सं० ७२९ ) । दे० 'शान्तिकमलाकर ।' शान्तिविवेक - विश्वनाथ द्वारा । ग्रहों की शान्ति के कृत्यों पर ( मदनरत्न का एक अंश ) । दे० अलवर (३५३) ।
शान्तिसर्वस्व नि० सि० एवं संस्कारकौस्तुभ में उ०शान्तिसार - दलपतिराज द्वारा (नृसिहप्रसाद का अंश ) । शान्तिसार -- रामकृष्ण के पुत्र दिनकरभट्ट द्वारा। अयुतहोम, लक्षहोम, कोटिहोम, ग्रहशान्ति, वैनायकीशान्ति, विवाहादी रुशान्ति नामक शान्ति कृत्यों पर । बम्बई में कई बार मुद्रित । शान्तिहोम - माधव द्वारा ।
शान्त्युद्योत — मदनरत्न का अंश । दे० प्र० ९४ । शापविमोचन - मदनरत्न का अंश । दे० प्रक० ९४ । शाम्बव्यगृह्यसूत्र । शारदाक्रमदीपिका -- दुगौत्सवविवेक में एवं रघु० द्वारा
व० ।
शारदातिलक - वारेन्द्रकुल के विजयाचार्यात्मज श्रीकृष्ण के पुत्र लक्ष्मणदेशिकेन्द्र द्वारा । तान्त्रिक ग्रन्थ, किन्तु धर्मशास्त्र-ग्रन्थों में बहुधा उद्धृत हुआ है । सर्वदर्शनसंग्रह एवं रघु के दिव्यतत्त्व द्वारा व० । १३००ई० के पूर्व । टी० १४४९-५० ई० में रामवाजपेयी द्वारा कुण्डमण्डपलक्षण में व० टी० गूढार्थदीपिका, श्रीराम भारती के शिष्य त्रिविक्रमज्ञ द्वारा। टी० गूढार्थप्रकाशिका, कामरूपपति द्वारा। टी० गूढार्थसार, विक्रमभट्ट द्वारा | टी० काशीनाथ द्वारा। टी० तन्त्रप्रदीप, लक्ष्मणदेशिक द्वारा। टी० तन्त्रप्रदीप,
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