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________________ धर्मशास्त्र का इतिहास बेगराजसंहिता-वेगराज द्वारा। सं० १५५९ (रन्ध्रेषु- वैद्यनाथसंग्रह। __ बागशशी), अर्थात् १५०३ ई०। वैद्यनापीय-दे० स्मृतिमुक्ताफल। वेणी-यात्रा के पूर्व वरुण-पूजा की विधियों के विषय में। वैशम्पायननीतिसंग्रह-दे० नीतिप्रकाश (-प्रकाशिका) । बीकानेर (पृ. ४९२) वैशम्पायनस्मृति-मिताक्षरा (याश• ३।३२६) एवं वेणुगोपालप्रतिष्ठा। अपरार्क द्वारा वणित। वेदव्यासस्थति--आनन्दाश्रम (पृ० ३५७-३७१) द्वारा वैष्णवधनिका-रामानन्द न्यायवागीश द्वारा। मु०। वैष्णवधर्मखण्डन-बड़ोदा (सं० १७४१) । पुण्डधारण बेदव्रत। आदि के विरोध में। वेदानध्याय-वैदिक अध्ययन की छद्रियों के विषय में। वैष्णवधर्मपदति-कृष्णदेव द्वारा। वैखानसधर्मप्रश्न-दे० प्रक० १५ । टी० माधवाचार्य के वैष्णवधर्ममीमांसा--अनन्तराम द्वारा। पुत्र नृसिंहवाजपेयी द्वारा। वैष्णवधर्मशास्त्र-१०९ श्लोकों में; संस्कार, गृहिधर्म, वैखानसमन्त्रप्रश्न- (वैखानसस्मार्तसूत्र के लिए मन्त्र) आश्रमों, पारिवाज्य, राजधर्म पर पांच अध्याय। ८ प्रश्नों में (चार प्रश्न सन् १९१० में कुंभकोणम् वैष्णवधर्मसुखममञ्जरी-निम्बार्क अनुगामी केशव द्वारा मुद्रित हुए)। काश्मीरी के अनुयायी संकर्षणशरण द्वारा। वैखानससंहिता--कालमाधवीय, नि० सि० एवं समय- वैष्णवधर्मानुष्ठानपद्धति-रामाचार्य के पुत्र कृष्णदेव मयूख द्वारा व०। द्वारा। वैखानससूत्रदर्पण-माधवाचार्य वाजपेययाजी के पुत्र वैष्णवनिर्णय-अलवर (सं० १४६६) । नृसिंह द्वारा। वैखानसगृह्य के अनुसार घरेलू कृत्यों वैष्णवप्रक्रिया-वेदचूड़ालक्ष्मण द्वारा। विज्ञानेश्वर, पर एक लघु पुस्तिका । इल्लौर में सन् १९१५ ई० में नि० सि० एवं सुधीविलोचन का उल्लेख है। मुद्रित। वैष्णवलक्षण-कृष्णताताचार्य द्वारा। वखानससूत्रानुक्रमणिका-कोण्डपाचार्य के पुत्र वेंकट- वैष्णवसर्वस्व--हलायुधकृत। ब्राह्मणसर्वस्व में उल्लि__ योगी द्वारा। खित। वैखानसस्मृतिसूत्र-१० प्रश्नों में (गृह्य के ७ एवं धर्म वैष्णवसिद्धान्तदीपिका-नृहरि के पुत्र कृष्णात्मज रामचन्द्र के ३)। सन् १९१४ में कुम्भकोणम् द्वारा एवं द्वारा। टी. रामचन्द्र (लेखक) के पुत्र नृसिंहात्मन बिब्लि० इण्डि० सीरीज़ में डा० कैलेण्ड द्वारा अनूदित। विठ्ठल द्वारा। (१९२७ एवं १९२९)। टी० माधवाचर्य के पुत्र वैष्णवाचारसंग्रह। . नृसिंह वाजपेयी द्वारा। वैष्णवामृत-आह्निकतत्त्व (रघु० कृत) एवं नि० सि० वैजयन्ती-नन्दपण्डित द्वारा विष्णुधर्मसूत्र पर टी०, में व०। १६२३ ई० में प्रणीत । दे० प्रक० १०५। वैष्णवामृत-भोलानाथ द्वारा। नो० (जिल्द ६, पृ० वैतरणीदान-बैतरणी पार करने के लिए काली गाय के १८५-६)। दान पर। वैष्णवाह्निक--बड़ोदा (सं० १०५४३) । वतरणीदानप्रयोग-स्टीन (पृ० १०४) । वैष्णवोपयोगिनिर्णय--ड. का. पाण्डु० (सं० १६०, वैदिकप्रक्रिया। १८८४-८६) तिथि संवत् १७३२ (१६७५-६ ई०) । वैदिकविजयध्वज। इसमें प्रह्लादसंहिता, रामार्चनचन्द्रिका का उल्लेख देविकाचारनिर्णय-सच्चिदानन्द द्वारा। है। कठशाखा एवं अथर्ववेद (एभिर्वयम् तमस्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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