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________________ धर्मशास्त्रीय प्रन्यसूची १६०१ विषिपुष्पमाला-(पद्धति) श्रीदत्त की पितृभक्ति में सान्धिविग्रहिक थे क्रम से स्कन्द एव वामन। स्कन्द व०। १२०० ई० के पूर्व। ने हरिराज को शाकम्भरी में राजा बनाया और विषिरत्न-गंगाधर द्वारा। वामन अणहिल्लपाटक में चले गये । कुल मूलरूप में विधिरत्न--त्रिकाण्डमण्डन, हेमाद्रि एवं प्रयोगपारिजात आनन्दनगर से आया था। ग्रन्थ कई अधिकरणों में द्वारा व०। विभाजित है। इण्डि० आ० (पृ० ४८९, सं० १५७७) विनायकपूजा---योगीश्वर के पुत्र एवं 'शौच' (शीचे) पाण्डु० तिथि सं० १५८२ चैत्र, अर्थात् १५२६ ई० । विरुद वाले रामकृष्ण द्वारा। सन् १७०२ ई० में । धार्मिक नियमों के विवादों (यथा मृत को कौन श्राद्ध प्रणीत। दे सकता है), शद्रप्रायश्चित्त आदि पर। विनायकशान्तिपति-इस पर श्रीधराचार्य की टी० विलक्षणजन्मप्रकाशिका। है। बड़ोदा (सं० ५४९); सं० १६०७ (१५५०- विलाससंग्रहकारिका-गदाधर के कालसार द्वारा व०। . विवस्वत्स्मृति-स्मृतिचन्द्रिका एवं हेमाद्रि द्वारा व०। विबुधकण्ठभूषण--वेंकटनाथ द्वारा गृह्यरत्न पर टी०। विवादकल्पतर--(लक्ष्मीधर कृत कल्पतरु का एक विभक्ताविभक्तनिर्णय। अंश)। दे० प्रक० ७७। विभागतस्व-(या तत्त्वविचार) नारायण भट्ट के पुत्र विवादकौमुदी-पीताम्बर सिद्धान्तवागीश द्वारा। शक रामकृष्ण द्वारा। मिताक्षरा पर आधारित । लग० १५२९, अर्थात् सन् १६०४ ई० में प्रगीत। लेखक १५७५-१६०० ई० । अप्रतिबन्ध एवं सप्रतिबन्ध आसाम के राजा के संरक्षण में था। दाय, मुख्यगीण पूत्रों, विभागकाल, अपूत्रदायादक्रम, विवादचन्द्र-मिसरू मिश्र द्वारा। दे० प्रक० ९७। उतराधिकार के लिए पिता से माता की वरीयता पर विवादचन्द्रिका-अनन्तराम द्वारा। शलपाणि एवं विवेचन है। भण्डारकर संग्रह में पाण्डु० 'म्रातरः' स्मार्तभट्टाचार्य के उद्धरण हैं। १६०० ई० के तक है। पश्चात्। विभागनिर्णय। विवादचन्द्रिका--चण्डेश्वर के शिष्य रुद्रधर महामहोविभागसार--विद्यापति कृत। भवेश के पुत्र हरिसिंहा- पाध्याय द्वारा। अपने ग्रन्थ श्राद्धचन्द्रिका में लेखक त्मज दर्पनारायण के आदेश से प्रणीत। दायलक्षण, वर्धमान को उ० करता है। व्यवहार (कानून) के विभागस्वरूप, दायानह, अविभाज्य, स्त्रीधन, द्वादश- १८ विषयों एवं विवाद प्रकाों पर। लग० १४५० विष पुत्र, अपुत्रवनाधिकार, संसृष्टविभाग पर। नो० न्यू० (जिल्द ६, पृ० ६७)। विवादचिन्तामणि-वाचस्पतिमिश्र द्वारा। दे० प्रक० विभूतिधारण। ९८। बम्बई में मुद्रित। विमलोदयमाला--(या विमलोदयजयन्तमाला) आश्व- विवादताण्डव--कमलाकर भट्ट द्वारा। प्रकरण- १०६ । लायनगृह्यसूत्र पर एक टी०। विवादनिर्णय-गोपाल द्वारा। विरुखविधिविध्वंस-मल्लदेव एवं श्रीदेवी के पुत्र एवं विवादनिर्णय-श्रीकर द्वारा। भगवद्वोवभारती के शिष्य लक्ष्मीधर द्वारा। उनका विवादभंगार्णव-जगन्नाथ तर्कपंचानन द्वारा। दे० प्रक० गोत्र काश्यप था, पितामह वामन, पितामह के भाई ११३। कोलबुक ने इसके मुख्य विषयों में दो के स्कन्द एव प्रपितामह सोड थे। सोड शाकम्भरी अनुवाद उपस्थित किये हैं। नो० न्यू० (जिल्द १, (साँभर) के राजा सोमेश्वर के मन्त्री थे। तुरुष्कों भूमिका, पृ० १३१४)।। द्वारा मारे जाने वाले पृथ्वीराज के सेनापति एवं विवादरलाकर-~-चण्डेश्वर द्वारा। दे० प्रक०. ९० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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