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, धर्मशास्त्र का इतिहास वास्तुचन्द्रिका--करुणाशंकर द्वारा।
विद्याकरणपति-नित्याचारप्रदीप (पृ० ५६६, ५७१) वास्तुचन्द्रिका-कृपाराम द्वारा।
में व०। वास्तुतत्त्व--गणपतिशिष्य द्वारा। लाहौर (१८५३ विद्याधरीविलास-रघु० के ज्योतिस्तत्त्व द्वारा २० । ई०) में प्रका।
विद्यारण्यसंग्रह-दे० स्मृतिसंग्रह। वास्तुपद्धति-(या वास्तूद्यापन) बड़ोदा (संख्या विद्याविनोद-नि० सि० में व० (यह लेखक का नाम भी १६७२)।
हो सकता है)। वास्तुपूजनपद्धति--परमाचार्य द्वारा।
विद्वन्मनोहरा--नन्दपण्डित द्वारा पराशरस्मृति की वास्तुपूजनपद्धति--याज्ञिकदेव द्वारा।
टीका। दे० प्रक० १०५ । वास्तुप्रदीप---वासुदेव द्वारा। नि० सि० में व०। विधवाधर्म। वास्तुयागतत्त्व--रघुनन्दन द्वारा। दे० प्रक० १०२। विधवाविवाहखण्डन। वास्तुरत्नावलि-जीवनाथ दैवज्ञ द्वारा। बनारस (१८- विधवाविवाहविचार--हरिमिश्र द्वारा।
८३) एवं कलकत्ता (१८८५) में प्रका०। विधानखण्ड--नि० सि० में व० । वास्तुशान्ति-नारायणभट्ट के पुत्र रामकृष्ण द्वारा। विधानगुम्फ--अनन्त के विधानपारिजात में व०।
आश्वलायनगृह्य के अनुसार। कमलाकरभट्ट के विधानपारिजात-नागदेव के पुत्र अनन्तभट्ट द्वारा। शान्तिरत्न में व०।
१६२५ ई० में बनारस में प्रणीत। लेखक अपने को वास्तुशान्तिप्रयोग-शाकलोक्त।
'काण्वशाखाविदां प्रियः' कहता है। स्वस्तिवाचन, वास्तुशान्तिप्रयोग----दिनकर के शान्तिसार से उद्धृत। शान्तिकर्म, आह्निक, संस्कार, तीर्थ, दान, प्रकीर्णवास्तुशास्त्र---मय द्वारा। नि० सि० में उल्लिखित । विधान आदि पर पाँच स्तवकों में। देवजानीय, वास्तुशिरोमणि-मान नरेन्द्र के पुत्र स्यामसाह के आदेश दिवोदासीय, त्रिस्थलीसेतु का उल्लेख है। बिब्लि. से शंकर द्वारा। अलवर (सं० ५७६)।
इण्डि० द्वारा प्रका। वास्तुसर्वस्वसंग्रह--बंगलोर में सन् १८८४ में प्रका। विधानमाला--(या शुद्धार्थविधानमाला) अत्रि गोत्र के विचारनिर्णय---गोपाल न्यायपंचानन भद्राचार्य द्वारा। नृसिंहभट्ट द्वारा। वैराट देश में चन्दनगिरि के पास विजयदशमीनिर्णय।
वसुमती के निवासी। संस्कारकौस्तुभ एवं विधानविजयदशमीपद्धति-अलवर (सं० १४४४ एवं उद्धरण पारिजात में व०। १५५० ई० के पूर्व । इण्डि० ३४४)।
आ० में २४० प्रकरण हैं (पृ० ५७५, सं० १७६९), विजयविलास-रामकृष्ण द्वारा। शौच, स्नान, सन्ध्या, पाण्डु० सं०१७३२ में उतारी हुई। आनन्दाश्रम द्वारा ब्रह्मयज्ञ, तिथिनिर्णय पर। कर्क, हरिहर एवं गदाधर प्रका० १९२० । बड़ोदा (सं० १०४४९, पाण्डु. के भाष्यों पर आधारित।
तिथि सं० १६२२, १५६५-६ ई०)। टी० हरि के विज्ञानमार्तण्ड--नृसिंहप्रसाद में व०।
पुत्र विश्वनाथ द्वारा। विज्ञानललित-हेमाद्रि (दानखण्ड, पृ० १०९) द्वारा विधानमाला-लल्ल द्वारा।
एवं दानसार (नृसिंहप्रसाद के भाग) में व०। विधानमाला-विश्वकर्मा द्वारा। विट्ठलीय-रामकृष्ण के श्राद्धसंग्रह में व०। विधानरत्न-नारायण भट्ट रा। विदुरनीति---महाभारत के उद्योगपर्व के अध्याय विधानरहस्य--अहल्याकामधेनु में व० ।
३३-४० बम्बई संस्करण में, गुजराती प्रेस द्वारा विधानसारसंग्रह-अज्ञात। दे० बीकानेर (पृ० मुद्रित)।
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