________________
धर्मशास्त्र का इतिहास
वनपद्धति---शम्भुदेव के पुत्र एवं रामदेव के छोटे भाई अयुतहोम, लक्षहोम, दुर्गोत्सव का वर्णन है। भोजराज,
विश्वनाथ द्वारा (माध्यन्दिनीयों के लिए)। लक्ष्मीधर (कल्पतरु), हेमाद्रि, चण्डेश्वर, पारिजात, रुखपूजापद्धति-पोटर्सन (छठी रिपोर्ट, पृ० १०९)। हरिहर, भीमपराक्रम, विद्याधर, चिन्तामणि, वर्षदीप, रुखविधानपद्धति--सदाशिव दीक्षित के पुत्र काशीदीक्षित महादानपद्धति (रूपनारायणकृत) पर आधारित । द्वारा।
नारायणभद्र की जलाशयारामोत्स पद्धति में व०, खविधानपति--चन्द्रचूड़ द्वारा।
१४५०-१५२५ ई० के बीच। रुद्रविलासनिबन्ध--नन्दनमिश्र द्वारा।
रेणुकारिका--(या रेणुककारिका) दे० ऊपर वस्नानविषि--(या रुद्रस्नानपद्धति) नारायणभट्ट के 'पारस्करगृह्यकारिका'। १२६६-६७ ई० में प्रणीत। पुत्र रामकृष्ण द्वारा। कमलाकर के शान्तिरत्न में लक्षणप्रकाश---मित्रमिश्र द्वारा। वीरमित्रोदय (राजव०। लग० १५७०-१६०० ई०।
नीति पर) का एक भाग। चौखम्भा सं० सी० में खप्रतिष्ठा।
प्रका। खलधुन्यास-रुद्रपूजा के लिए नियमपद्धति ।
लक्षणरत्नमालिका--विश्वनाथ के पुत्र नारोजि पण्डित ब्रसूत्र-(या रुद्रयोग) उद्धव के पुत्र अनन्तदेव (काशी द्वारा। वर्णाश्रमाचार, दैव, राज, उद्योग, शरीर पर के रहने वाले) द्वारा। इसे विद्यमौढ (वाजसनेय । पाँच पद्धतियों में। लगता है, यह लेखक की पुस्तक शाखा के लिए) भी कहा जाता है। पोर्सन (पाँचवीं लक्ष्मणशतक की एक टीका है। दे० बर्नेल, तंजौर रिपोर्ट, पृ० १७५)।
(पृ० १३२ एवं १६४ बो)। रुद्राक्षषारण।
लक्षणशतक-नारोजिपण्डित द्वारा। खालपरीक्षा।
लक्षणसंग्रह--हेमाद्रि (दानखण्ड, पृ० ३२८) एवं खानुष्ठानपद्धति-रामेश्वर के पुत्र नारायण द्वारा। कुण्डमण्डपसिद्धि द्वारा व०।
ड० का० (सं० २८३, १८८६-९२)। यह उपर्युक्त लक्षणसमुच्चय--हेमाद्रि द्वारा। शरीर लक्षणों के एवं रुद्रपद्धति (४) ही है, ऐसा प्रतीत होता है। प्राकृतों पर। दे० बीकानेर (पृ० ४११) । खानुष्ठानपद्धति--सर्वज्ञ कुल के मेंगनाथ द्वारा। लक्षणशमुच्चय--हेमाद्रि (दानखण्ड, पृ० ८२३) एवं महार्णव पर प्रधान रूप से आधारित।
नि० सि० में व० । रुद्रानुष्ठानपद्धति--बल्लालसूरि के पुत्र शंकर द्वारा। लक्षणसारसमुच्चय---शिवलिंगों के निर्माण के नियम । व्रतोद्यापनपद्धति में व०। लग० १७५० ई०।
३२ प्रकरणों में। एब्रानुष्ठानपद्धति-(या दीपिका) दे० 'रुद्रपद्धति' लक्षहोमपद्धति--(१) सदाशिवदीक्षित के पुत्र काशी ऊपर।
दीक्षित द्वारा। (२) पुरुषोत्तम के पुत्र गोविन्द द्वारा। रुद्रानुष्ठानप्रयोग--मयूरेश्वर के पुत्र खण्डभट्ट (अया- (३) रामेश्वर के पुत्र नारायणभट्ट द्वारा ; दे० प्रक०
चित) द्वारा। खार्चनचन्द्रिका--शिवराम द्वारा।
लक्षणसमुच्चय---महादेव के मुहूर्तदीपक में व० । खार्चनमंजरी--वेदांगराय द्वारा। दे० महारुद्रपद्धति। लक्ष्मीनारायणा_कौमुदी--शिवानन्द गोस्वामी द्वारा। रूपनारायणीय--(पद्धति) शक्तिसिंह के पुत्र उदयसिंह ५ प्रकाशों में।
रूपनारायण द्वारा। ड० का० (सं० २४०, १८८१- लक्ष्मीसपर्यासार--श्रीनिवास द्वारा । ८२) में वंशावली दी हुई है। इसमें तुलापुरुष आदि लघुकारिका---देवदत्त के पुत्र विष्णुशर्मा द्वारा (माध्यषोडश महादानों, कूपवापीतड़ागादिविधि, नवग्रहहोम, दिनशाखा के लिए)। बड़ोदा (सं० १२०७२), .
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org