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धर्मशास्त्र का इतिहास मलमासनिर्णयतन्त्रसार-वासुदेव द्वारा।
महाप्रवरनिर्णय। मलमासरहस्य----भवदेव के पुत्र बृहस्पति द्वारा। श० महाप्रवरभाष्य----पुरुषोत्तम द्वारा। गोत्रप्रवरमंजरी ___ सं० १६०३ (१६८१-२ ई०) में!
में व०। मलमासविचार--- अज्ञात ; १५७९ ई० में प्रणीत (बीका- महान्द्रकर्मकलापद्धति ।
नेर, पृ० ४१७) । तिथि सम्भवतः १६७९ (१६०० महाद्रजपहोमपूजापति। शक) है.
महारुद्रन्यासपद्धति---बलभद्र द्वाग! मलमासाघमर्षणी--अज्ञात।
महारुद्रपद्धति---दे.. मुद्रकल्पदम। मलमासार्थसंग्रह-गुरुप्रसाद शर्मा द्वारा। नो० न्यू० महारुद्रपद्धति---वत्सराज ने पुत्र अन्दलदेव द्विवेदी द्वारा (जिल्द १, पृ० २७९)।
(शांखायन के अनुसार)। लग० १५१८ ई० । महागणपतिपूजापद्धति।
महारुद्रपद्धति--विश्वनाथ के पुत्र अनन्तदीक्षित ('यज्ञोमहादाननिर्णय---वाचस्पति मिश्र की सहायता से मिथिला- पवीत' उपाधि) द्वारा। नारायण भट्ट का प्रयोगरत्न
राज भैरवेन्द्र द्वारा । पाण्डु ० (ह० प्र०, पृ० १२, ३६ उ० है, अतः १५:५६० के उपरान्त । इसका नाम एवं १२२) तिथि ल सं० ३९२ (१५११ ई.) महारुद्रप्रयोगपद्धति भी है। वंशावली यो दी हुई है---भवेश, उनके पुत्र हरिसिंह महारुद्रपद्धति ----- काशीदीक्षित जाय। रुद्रक गदुम में व० । देव, उनके पुत्र भैरवेन्द्र (रूपनारायण, अन्यत्र हरि- महारुद्रगति-- (आश्वलायन के अनुसार) नारायण नारायण)। दे० अलवर (सं० १४१३), जहाँ यह द्वारा।
ग्रन्थ महादानप्रयोगपद्धति कहा गया है। महारुद्रपद्धति--(सामवेद के अनुसार) कर्ण के पुत्र महादानपद्धति-रूपनारायण द्वारा इण्डि० आ० परशरामद्वारा। शद्रकमलाकरद्वारा ०। १४५९
(पृ० ५५०, तिथि श० सं० १४५२ अर्थात् १५३० ई० में प्रणीत। ई है, क्योंकि विकृति वर्ष ठीक बैठता है) इसे महारुद्रपद्धति-....बलभद्र द्वारा। महादान प्रयोगपद्धति भी कहा गया है। वाचस्पति महारुद्रपद्धति----गुर्जरदेश के श्रीस्थल में रत्नभट्टात्मज (द्वैतनिर्णय), कमलाकर (दानमयूख) ने उल्लिखित निगलाभट्ट के पुत्र माल जित् (मालजी) द्वारा। किया है।
ग्रन्थ का नाम रुद्रार्चनमंजरी एवं लेखक का वेदांगराय महादानपद्धति---विश्वेश्वर द्वारा।
भी कहा गया है। लग० १६२७-१६५५ ई० । महादानवाक्यावलो---गोली संजीवेश्वर मिश्र के पुत्र अलवर (सं० १४१५)। रत्नपाणि मिश्र द्वारा। इसमें इतिहाससमुच्चय का महारुद्रपद्धति-- (गोभिलीय) रामनन्द्राचार्य द्वारा। उल्लेख है।
बड़ोदा (सं० १२५०)। महादानानुक्रमणिका।
महारुद्रपद्धति--विष्णुशर्मा द्वारा। महादीपदानविधि।
महारुद्रपद्धति---त्रिगलाभट्ट के पुत्र वेदांगराय द्वारा। महादेवपरिचर्याप्रयोग--- (बौधायनीय) रघुराम तीर्थ के यह मालजी का ही ग्रन्थ है। शिष्य सुरेश्वर स्वामी द्वारा। नो० (जिल्द १०, महारुद्रयज्ञपति। पृ० २३९)।
महार्णव-(या महार्णवप्रकाश) हेमाद्रि (जिल्द ३, महादेवीय---निर्णयामृत द्वारा।
भाग १, पृ० १८३, १४४०) एवं शलपाणि (श्राद्धमहाप्रदीपरत्नपद्धति----नो० न्यू० (१, पृ० २८०)। विवेक) द्वारा व० । इसे स्मृतिमहार्णव (या प्रकाश महाप्रयोगसार---रघु० द्वारा आह्निकतत्त्व में उल्लिखित। भी) कहा गया है। दे० प्रक० ८ ।
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