________________
धर्मशास्त्रीय प्रन्यसूची
लेखक का नाम भट्ट विश्वनाथ श्रीमालिगूर्जर है । मधुपर्क निर्णय । मधुपर्कपद्धति ।
मध्यमांगिरसस्मृति-- मिता० (याज्ञ० ३।२४३, २४७, २५७, २६० ) में व० ।
मध्याह्नक |
मनुस्मृति - ( या मानवधर्मशास्त्र) दे० प्रक० ३१। टो० मन्वर्थमुक्तावली, कुल्लूकभट्ट द्वारा ; दे० प्रक० ८८; वह वारेन्द्री (बंगाल में राजशाही ) के निवासी थे। टी० मन्वाशयानुसारिणी, गोविन्दराजकृत ( वी० एन० माण्डलिक द्वारा प्रका० ) ; देखिए प्रक० ७६ । टो० नन्दिनी, नन्दनाचार्य द्वारा पश्चात् कालीन लेखक (वी० एन० माण्डलिक द्वारा प्रका० ) । टो० मन्वर्थचन्द्रिका, राघवानन्द सरस्वती द्वारा । १४०० ई० के पश्चात् ( वी० एन० माण्डलिक द्वारा प्रका० ) | टी० सुखबोधिनी, मणिरामदीक्षित (गंगाराम के पुत्र) द्वारा (स्टीन, पृ० ९८ ) । टी० मन्वर्थविवृति, नारायण सर्वज्ञ द्वारा ११०० - १३०० ई० के बीच ( वी० एन० माण्डलिक द्वारा प्रका० ) । टी० असहाय द्वारा (दे० प्रक० ५८) । टी० उदयकर द्वारा; वि० २० में व०; १३०० ई० के पूर्व । टी० उपाध्याय द्वारा; मेधातिथिभाष्य में व० । टी० ऋजुद्वारा; मेधातिथिभाष्य में व० । टी० कृष्णनाथ द्वारा। टी० धरणीधर द्वारा ; कुल्लूकभट्ट द्वारा व० ; ९५०-१२०० ई० के बीच टी० भागुरि द्वारा; वि० र० में व० । दे० प्रक० ३१ । टी० (भाध्य ) मेघातिथि द्वारा दे० प्र० ६३ ( मांडलिक, घारपुरे द्वारा प्र० ) । टी० यज्वा द्वारा; मेधातिथि में व० टी० रामचन्द्र द्वारा (वी० एन० माण्डलिक द्वारा प्रका० ) । टी० रुचिदत्त द्वारा। टी० अज्ञात (कोई कश्मीरी ), डा० जाली द्वारा कुछ अंश प्रका० । मन्त्रकमलाकर कमलाकर द्वारा ।
मन्त्रकोश -- आचारमयूख में उल्लिखित । मन्त्रकोश -- आशादित्य त्रिपाठी द्वारा, २० परिच्छेदों में ( दाक्षिणात्य ), चार काण्डों में सामवेदगृह्यसूत्र
Jain Education International
१५८५
के मन्त्र व्याख्यायित हैं। पाण्डु० (नो०, जिल्द १०, पृ० १२२ ) की तिथि श० सं० १७१७ (१७९५ ई०) ।
मन्त्रतन्त्रप्रकाश ---- एकादशीतत्त्व में रघुनन्दन द्वारा व० । मन्त्रप्रकाश ---दीक्षातत्त्व में रघुनन्दन द्वारा व० । मन्त्र तन्त्रभाष्य -- हरदत्त द्वारा । दे० एकाग्निकाण्डमन्त्रव्याख्या ।
मन्त्रमुक्तावली -- रघु० के शुद्धितत्त्व एवं मलमास तत्त्व में उल्लिखित ।
मन्त्ररत्नदीपिका -- अहल्याकामधेनु में व० । मन्त्र सारसंग्रह - सदाचारचन्द्रिका में व० । मन्त्रसारसंग्रह -- शिवराम द्वारा । मयूरचित्रक - - ( या मेघमाला या रत्नमाला) नारद का कहा गया है। आसन्न वर्षा, दुर्भिक्ष आदि पर । बल्लालसेन के अद्भुतसागर में व० । मयूरचित्रक - भट्टगुरु द्वारा ; सात खण्डों में ट्राएनी एल कैटलाग (मद्रास, १९१९ - २२, पृ० ४४०४) । मरणकर्म पद्धति -- यजुर्वेदगृह्यसूत्र से सम्बन्धित कही गयी है ।
मरणसामयिक निर्णय --- मृत्यु के समय कृत्य एवं प्रायश्चित्तों के विषय में। बीकानेर कैटलाग (पु० ४२०)। मरीचिस्मृति-दे० प्रक० ४८ । मर्यादासिन्धु -- पुरुषोत्तम की द्रव्यशुद्धिदीपिका में व० । मलमासकार्याकार्यनिर्णय ।
मलमास तत्त्व -- ( या मलिम्लुचतत्त्व) रघुनन्दन कृत । जीवानन्द द्वारा प्रका० । टी० राधावल्लभ के पुत्र एवं रामकृष्ण के पौत्र काशीराम वाचस्पति द्वारा ।
० मथुरानाथ द्वारा। टी० टिप्पणी, राधामोहन द्वारा। टी० वृन्दावन द्वारा। टी० हरिराम द्वारा । मलमासनिरूपण ।
मलमासनिर्णय - दशपुत्र द्वारा ।
मलमासनिर्णय -- भवदेव के पुत्र बृहस्पति द्वारा। बड़ोदा (सं० १२८५१ ) ।
मलमासनिर्णय - नरसिंह के पुत्र वञ्चेश्वर द्वारा ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org