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धर्मशास्त्रीय ग्रन्थसूची
१५५५ वायवशश्लोकी--दाय पर दस शार्दूलविक्रीडित छन्दों में दायभाग-वैद्यनाथ द्वारा।
(बर्नेल द्वारा मंगलोर में प्रका०)। टी० वासुदेव के दायभागकारिका-मोहनचन्द्र विद्यावाचस्पति द्वारा। पुत्र दुर्जय द्वारा।
नो० न्यू० (१, १७२) । वायवीप-दायभाग की टीका। दे० 'दायभाग'। दायभागनिर्णय-(या विनिर्णय) कामदेव द्वारा । इण्डि० बायनिर्णय---गोपाल पंचानन द्वारा। रघुनन्दन के दाय- आ० (पृ० ४६३) ।। तत्त्व का संक्षेप।
दायभागनिर्णय-भट्टोजि द्वारा (पीटर्सन, ६वीं रिपोर्ट, हायनिर्णय-विद्याधर द्वारा।
सं० ८४)। बायनिर्णय-श्रीकर शर्मा द्वारा। मदनपारिजात, दाय- दायभागनिर्णय--व्यासदेव द्वारा। भाग एवं वाचस्पति के उद्धरण हैं। इण्डि० आ०, दायभागनिर्णय-श्रीकर द्वारा; दे० दायनिर्णय (ऊपर)। ३, ५० ४६२, सं० १५२३; किन्तु सं० १५२४ से दायभागविवेक-(दायरहस्य) रामनाथ विद्यावाचस्पति प्रकट है कि गोपाल एवं श्रीकर शर्मा के मध्य शंका द्वारा। जीमूतवाहन के दायभाग पर एक टी०, उत्पन्न हो गयी है।
१६५७ ई० में प्रणीत । स्मृतिरत्नावलि का एक अंश । बायभाग-जीमतवाहन द्वारा। दे० प्रक० ७८। नो० (जिल्द ५, १० १५४)। प्रसन्नकुमार ठाकुर के लिए भरतचन्द्र द्वारा७ टीकाओं दायभागव्यवस्था--सार्वभौम द्वारा। आठ तरंगों में।। के साथ प्रका० (१८६३-६६) । टी० दायभाग- शक (शाकेग्निमङ्गलहरास्यकलानिधाने) १५८३ प्रबोधिनी (कलकत्ता में प्रका०, १८९३-१८९८)। (१६६१-२ ई०) में राघव के लिए प्रणीत । टी० दायभागसिद्धान्तकुमुदचन्द्रिका, हरिदास तर्का- दायभागव्यवस्थासंक्षेप-गणेशभट्ट द्वारा (व्यवस्थाचार्य के पुत्र अच्युत चक्रवर्ती द्वारा; श्रीनाथ की संक्षेप का भाग)। टीका की आलोचना है; महेश्वर एवं श्रीकृष्ण द्वारा दायभागसिद्धान्त-बलभद्र तर्कवागीश भट्टाचार्य द्वारा उ०; १५००-१५५० ई०। टी० उमाशंकर द्वारा। (इण्डि० आ०, पृ० ४६५)। टी. कृष्णकान्त शर्मा द्वारा। टी० गंगाधर द्वारा। दायभागसिद्धान्तकुमुदचन्द्रिका-दायभाग की टी० (दे० टी. गंगाराम द्वारा। टी० दायदीप, श्रीकृष्ण तर्का- ऊपर)। लंकार द्वारा (१८६३ ई० में प्रका०)। टी० नीलकण्ठ दायभागार्थदीपिकापद्यावलो-रघुमणि के शिष्य रघुराम द्वारा। टी० मणेश्वर द्वारा (आई० एल० आर०, ४८, द्वारा। नो० न्यू० (जिल्द १, पृ० १७४) । १८वीं कलकत्ता, ७०२)। टी० रघुनन्दन द्वारा (हरिहर शती के अन्त में। के पुत्र) (१८६३ ई० में प्रका०)। टी० रामनाथ दायमुक्तावली--टीकाराम द्वारा। विद्यावाचस्पति द्वारा। टी० विवृति या दीपिका, दायरहस्य--दे० 'रामनाथकृत 'दायभागविवेक' । श्रीनाथ आचार्यचूडामणि के पुत्र रामभद्र द्वारा; दायविभाग--कमलाकर द्वारा। अच्युत की टीका (१८६३ ई० में प्रका०) में उ०। दायसंक्षेप-बागेशभट्ट द्वारा। टी० श्रीकराचार्य के पुत्र श्रीनाथ द्वारा; अच्युत दायसंग्रहश्लोकदशकव्याख्या-वासुदेव के पुत्र दुर्जय (१८६३ ई० में प्रका०) द्वारा आलोचित; १४७५- द्वारा। दे० 'दायदशश्लोको'। १५२५ ई०। टी० सदाशिव द्वारा। टी० हरि- दायाधिकारक्रमसंग्रह--श्रीकृष्ण तर्कालङ्कार द्वारा। दीक्षित द्वारा।
दायाधिकारकमसंग्रह-कृष्ण या जयकृष्ण तर्कालंकार दायभाग-वरदराज के व्यवहारनिर्णय का एक अंश। द्वारा। अलवर (सं० १३५६) । यह पूर्ववर्ती ही है, बायभाग-जगन्नाथ के विवादभंगार्णव का एक अंश। ऐसा प्रतीत होता है।
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