SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 537
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५३० कालनिर्णयसिद्धान्त - कान्हजित् के पुत्र महादेवविद् द्वारा (११८ श्लोकों में ); आधुनिक सिहोर के पास वेलावटपुर में जयराम के पुत्र रघुराम द्वारा संगृहीत द्य सामग्री पर आधारित; भुज नगर में सन् १६५२५३ (सं० १७०९) में प्रणीत । दे० ड० का० पाण्डु, सं० २७५, १८८७ - ९ ई० टी० लेखक द्वारा संवत् १७१० में लिखित । धर्मशास्त्र का इतिहास नन्द का एक भाग । कालनिर्णयावबोध -- अनन्तदैवज्ञ द्वारा । कालसिद्धान्त -- ( या सिद्धान्तनिर्णय) धर्माभट्टात्मज उमापति या उम्मणभट्ट के पुत्र चन्द्रचूड़ (पौराणिक उपाधिवारी) द्वारा । १५५० के उपरान्त । कालनिर्णयसौख्य- ( या समय निर्णयसौख्य ) टोडरा- कालादर्श -- ( या कालनिर्णय ) विश्वेश्वराचार्य के शिष्य गोत्र के आदित्यभट्ट कविवल्लभ द्वारा । पाण्डु ० सं ० १५८१ में; नृसिंह, अल्लाडनाथ, रघुनन्दन, कालमाधव, दुर्गोत्सवविवेक द्वारा उ०; इसमें स्मृतिचन्द्रिका, स्मृतिमहार्णव, विश्वादर्श का उल्लेख है, अतः १२०० १३२५ ई० के बीच प्रणीत । कालामृत -- ( एवं टी० उज्ज्वला ) वेंकटयज्वा द्वारा, जिसके चार भाइयों में एक यल्लयज्वा भी था । ( १ ) हुश (तेलुगु एवं ग्रन्थलिपियों में मद्रास में मुद्रित ) पृ० ७२ । ( २ ) सुरुभट्ट लक्ष्मीनरसिंह द्वारा । लेखक की टी०, १८८० ई० में मद्रास में मुद्रित । कालावलि -- अद्भुतसागर में ब० । कालिकाचनपद्धति | कालप्रदीप -- नृसिंह के प्रयोगपारिजात में व० । कालप्रदीप - दिव्यसिंह द्वारा । कालभाष्यनिर्णय - गौरीनाथ चक्रवर्ती द्वारा ( बड़ोदा, सं० १०२६० ) । काल भास्कर -- शम्भुनाथ मिश्र द्वारा (बड़ोदा, सं० १०१५५)। कालभेव । कालमयूख --- ( या समयमयूख) नीलकण्ठ द्वारा । दे० प्रक० १०७ । कालमाधव --- काशी संस्कृत सी० एवं बिब्लि० इण्डि० ; दे० कालनिर्णय, ऊपर । कालमाधवकारिका -- ( या लघुभाधव) 1 टी० विट्ठला - त्मज रामचन्द्र तत्सत् के पुत्र वैद्यनाथसूरि द्वारा ( अलवर, सं० १२९३) । कालमार्तण्ड - कृष्ण मित्राचार्य द्वारा, जो रामसेवक के पुत्र एवं देवीदत्त भट्ट के पौत्र थे । कालविधान -- नन्द पण्डित की श्राद्धकल्पलता में वर्णित । कालविधान -- श्रीधर का । कालविधानपद्धति --श्रीधर कृत । कालविवेक---जीमूतवाहन द्वारा (बिब्लि० इण्डि० सी० ) दे० प्रक० ७८ । नृसिंह, रघुनन्दन एवं कमलाकर द्वारा व० । कालविवेचनसारसंग्रह - शम्भुभट्ट द्वारा । कालसर्वस्व कौत्स गोत्र के कृष्णमिश्र द्वारा । की रानी के गुरु हलवर के भतीजे गदाधर द्वारा । बिब्लि० इण्डि० सी० द्वारा प्रकाशित । १४५०-१५०० के बीच | इसने कालमाधवीय, कालादर्श एवं रुद्रधर का उल्लेख किया है | Jain Education International कालिकाचनप्रदीप--- अहल्याकामधेनु में व० । कालिकाचाहता -- अहल्याकामधेनु में व० । erforativeा । कालोत्तर --- हेमाद्रि एवं रघुनन्दन के मलमासतत्त्व द्वारा ० । इसी नाम का एक तान्त्रिक ग्रन्थ-सा लगता है। काल्यर्चनचन्द्रिका -- नीलकमल लाहिडी द्वारा । बंगला लिपि में सन् १८७७-७९ में मुर्शिदाबाद से प्रकाशित । काशीखण्डकथाकेलि --- प्रभाकर द्वारा । काशीतत्त्व --- रघुनाथेन्द्र सरस्वती द्वारा । काशीतत्त्वदीपिका -- प्रभाकर द्वारा ( क्या यह उपर्युक्त -केलि ही है ? ) काशीतत्वप्रकाशिका --- ( या काशीसारोद्धार ) रघुनाथे न्द्रशिवयोगी द्वारा । (स्टीन, पृ० ८६ एवं ३०३ ) । उल्लासों में विभक्त । संभवतः यह काशीतत्त्व ही है। कालसार - नीलाम्बर एवं जानकी के पुत्र, हरेकृष्ण भूपति काशीप्रकरण -- ( त्रिस्थली सेतु से ) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy