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________________ धर्मशास्त्रीय प्रन्यसूची १५१५ अस्थिशुखिप्रयोग। पुत्र एवं मिथिला के विठ्ठल पुरुषोत्तम कविवर के अस्थ्यु सरण। शिष्य महेश्वर द्वारा; वाजसनेयों के लिए दिन के अहविधि। आठ भागों के कर्मों को आठ परिच्छेदों में बाँटा गया अहल्याकामधेन--(बनारस संस्कृत कालेज में एक है। पश्चिमी घाट पर इरावती नदी के तटवर्ती पाण्डुलिपि) केशव द्वारा, जिन्होंने मल्लारिराव के लावपुर के राजा नातू के कनिष्ठतम पुत्र माधव पुत्र खंडेराव की पत्नी अहल्या के नाम पर यह के संरक्षण में प्रणीत। १५०० ई० के उपरान्त । ग्रन्थ रचा है । लगता है, इन्दौर की अहल्या (१८वीं देखिए मित्र, नो० ५, पृ० ९७ एवं इण्डि० आ० पृ० शताब्दी के अन्तिम चरण में) की ओर संकेत है। ५०६ । अहिर्बुध्न्यसंहिता--श्रेडर द्वारा अडयार से प्रकाशित। आचारचन्द्रोदय-सदाराम द्वारा। अर्हनीति--हेमाचार्य द्वारा, दायभाग वाला भाग, आचारचिन्तामणि--वाचस्पति मिश्र कृत; रघुनन्दन लखनऊ से सन् १८९१ ई० में प्रकाशित। एवं श्रीदत्त की पाण्ड० । दे० प्र० ९८ । आप्रयणपति--विट्ठल दीक्षित द्वारा । यजुर्वल्लभा का आचारतरंगिणो-रविनाथ मिश्र । भाग। आचारतत्त्व--मकरन्द के पुत्र हरिप्रसाद द्वारा । स्टीन, माङ्गिरसस्मृति--बारह अध्यायों में 'प्रायश्चित्त' पर पृ० ८३ एवं ३०१।। (इण्डिया आफिस कैटलॉग, जिल्द ३, पृ० २८०, आचारतिलक--द्रव्यशुद्धिदीपिका एवं निर्णयदीपक संख्या १३०४)। द्वारा उ०। १५०० ई० के पूर्व । आचारकाण्ड । आचारतिलक-गंगाधर द्वाराः १०८ श्लोकों में। आचारकौमदी--गोपाल द्वारा (बडोदा, संख्या १११- दे० ड. का. पाण्ड० सं० १३५ (१८८६-९२) । ३३)। आचारदर्पण-श्रीदत्त कृत; यही आचारादर्श भी है। आचारकोमुदी-सोमेश्वर के पुत्र राजाराम द्वारा; दे० प्रक० ८९। सच्चरित्र एवं विष्णु-पूजा पर एक ग्रन्थ । संवत् आचारदर्पण-बोपदेव कृत; पूर्तदिनकरोद्योत में व० । १७८२ (१७२५-२६ ई.)। आचारदर्शन। आचारखण्ड-बड़ोदा, संख्या १२७९६ । आचारदीषिति-अनन्तदेव के स्मृतिकौस्तुभ का भाग। आचारचन्द्रिका-त्रिविक्रम सूरि द्वारा। आचारदीप या प्रदीप-गोदावरी पर कर्पूरग्राम के आचारचन्त्रिका--पद्मनाभकृत । इन्होंने १३६७ ई० वासी कमलाकर द्वारा। में सुपा व्याकरण एवं १३७५ ई० में पृषोदरादि- आचारदीप----नागदेव कृत; ८ अध्यायों में आह्निक वृत्ति को रचना की। पर आचारमयूख में नीलकण्ठ द्वारा, कात्यायन आचारचन्द्रिका---रत्नेश्वर मिश्र रचित । के स्नानविधिसूत्र पर अग्निहोत्री हरिहर द्वारा उ० आचारचन्द्रिका--रमापति द्वारा रचित । (बिहार०, सं० २२)। १४३६ ई० में। आचारचन्द्रिहा--श्रोकराचार्य के पुत्र श्रीनाथाचार्य आचारदीपक-त्रिविक्रम के संरक्षण में गंगाविष्ण चूडामणि द्वारा शूद्रों एवं द्विजों के कर्तव्यों पर। द्वारा सन् १७५२ ई० में प्रतिलिपि । रघुनन्दन द्वारा पाण्डुलिपि संवत् १४८८-८९ में आचारदीपिका। उतारी गयो। ये १४७५ ई० में भी थे । दे० इण्डि. आचारदीपिका--कमलाकर कृत। आ०, पृ० ५२४। आचारदीपिका--श्रीदत्त के आचारादर्श पर हरिलाल आचारचन्द्रोदय-(माधवप्रकाश) सारस्वत दुर्ग के की टीका। ११८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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