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परिशिष्ट धर्मशास्त्र-सम्बन्धी ग्रन्थों की तालिका धर्मशास्त्र के ग्रन्थों की तालिका उपस्थित करने की विधि के विषय में कुछ शब्द लिख देना आवश्यक है। श्रीत ग्रन्थों में केवल उन्हीं का उद्धरण प्रस्तुत किया गया है जिन्हें धर्मशास्त्र-लेखकों ने उद्धत किया है या जिन पर वे निर्भर रहते हैं। तन्त्र के ग्रन्थों एवं पुराणों को छोड़ दिया गया है, क्योंकि संस्कृत-साहित्य में उनकी पृथक् व्यवस्था है
और उनके लिए विशद व्याख्या की आवश्यकता पड़ती है तथा ऐसा करना स्थानाभाव से यहाँ सम्भव नहीं है। सभी 'प्रयोगों','माहात्म्यों', 'विधियों', 'व्रतों', 'शान्तियों' एवं 'स्तोत्रों को छोड़ दिया गया है, किन्तु जहाँ उनके लेखकों के नाम अति विख्यात हैं या उनकी विशेष महत्ता है, उन्हें सम्मिलित कर लिया गया है। जातक-विषयक ज्योतिष-सम्बन्धी ग्रन्थ एवं ताजिक-ग्रन्य सम्मिलित नहीं किये गये हैं,किन्तु महर्त-वर्ग के ग्रन्थ,जो आह्निक धार्मिक कृत्यों से अभिन्न रूप से सम्बन्धित हैं, सम्मिलित कर लिये गये हैं। यद्यपि गह्मसूत्रों एवं उनकी टीकाओं को इस ग्रन्थ के खण्ड १ में नहीं सम्मिलित किया गया, किन्तु उन्हें इस तालिका में सम्मिलित कर लिया गया है,क्योंकि उनके विषय धर्मशास्त्र से गहरा सम्बन्ध रखते हैं। इसमें सन् १८२० तक के ही ग्रन्थों का उद्धरण दिया जा सका है। यहाँ राजनीतिशास्त्र-सम्बन्धी ग्रन्य भो सम्मिलित कर लिये गये हैं। किन्तु उपर्युक्त बन्धनों का निर्वाह भी भली भाँति नहीं किया जा सका है।
इस सूची को उपस्थित करने में डा० ऑफेस्ट के बहुमूल्य ग्रन्थ 'कैटलागस कैटलागोरम्' से प्रभूत सहायता मिली है। किन्तु यह ग्रन्थ कई स्थानों पर सन्देहात्मक एवं अपेक्षाकृत बहुत कम सूचना देता है, तथापि हम सभी डा० ऑफेस्ट के अत्यन्त ऋणी हैं। सन्देहों को मिटाने के लिए संस्कृत ग्रन्थों की मूल पाण्डुलिपियों को,यथा-इण्डिया आफिस में रक्षित पाण्डुलिपियों, डा. मित्र के 'नोटिसेज़ आव संस्कृत मैनुस्क्रिप्ट्स' एवं म०म० हरप्रसाद शास्त्री के ग्रन्थों को पढ़कर उनकी तुलनात्मक व्यवस्था उपस्थित करनी पड़ी है। डा० आँफेस्ट का तीसरा भाग सन् १९०३ में प्रकाशित हुआ था और उसके उपरान्त कतिपय कैटलॉग (ग्रन्थ सूचियाँ) प्रकाशित हो चुके हैं, यथा--मद्रास गवर्नमेण्ट मैनुस्क्रिप्ट्स लाइब्रेरी के डिस्क्रिप्टिव कैटलॉग एवं ट्राइनीएल कैटलॉग्स, म० म० हरप्रसाद शास्त्री द्वारा उपस्थापित 'नोटिसेज आव मैनुस्क्रिप्ट्स (न्यू सीरीज़, भाग ३), म० म० हरप्रसाद शास्त्री द्वारा प्रस्तुत नेपाल दरबार लाइब्रेरी का कैटलाग आव पामलीफ़ एवं पेपर', हुल्श की रिपोर्ट (भाग ३), रायबहादुर हीरालाल द्वारा उपस्थापित 'कैटलाग आव सेण्ट्रल प्राविसेज संस्कृत मैनु स्क्रिप्ट्स' एवं बिहार-उड़ीसा सरकार द्वारा संगृहीत 'कैटलॉग आव दि मैनुस्क्रिप्ट्स' (जिल्द १)। इन कैटलॉगों के अतिरिक्त अन्य संग्रह भी पढ़े गये हैं, यया-डेकन कालेज का संग्रह (जो अब भण्डारकर ओरिएण्टल रिसर्च इंस्टीच्यूट, पूना में रखा गया है), आनन्दाश्रम इंस्टीट्यूशन (पूना), प्रो० एच० डी० वेलणकर द्वारा संस्थापित विलसन कॉलेज का 'भण्डारकर मेमोरिएल कलेक्शन' एवं बड़ोदा ओरिएण्टल इंस्टीच्यूट का कलेक्शन (संग्रह)।
इस तालिका में यथासम्भव एवं आवश्यकतानु कूल ग्रन्थों, उनके लेखकों, लेखकों के पूर्वजों, लेखकों के उद्धृत ग्रन्थों, उन ग्रन्थों को उद्धृत करने वाले ग्रन्थों के नाम, ग्रन्थों के काल एवं विषयों के नाम आदि दे दिये गये हैं। इतने पर भी बहुत से सन्देह रह गये हैं। कहीं-कहीं तत्तद् ग्रन्थों के नाम विषय को भी बता देते हैं। कहीं-कहीं तालिका उपस्थित करने में कतिपय कठिनाइयाँ उपस्थित हो जाती हैं । कहीं-कहीं एक ही ग्रन्थ एक ही पाण्डुलिपि
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