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________________ तीर्थसूची पिंगलेश्वर - ( नर्मदा के अन्तर्गत) मत्स्य ० १९११३२, कूर्म ० २०४१ २१, पद्म० १।१८।३२ । पिप्पला - (ऋक्षवान् से निकली हुई नदी) ब्रह्माण्ड ० २।१६।३० । पिप्पलाद सी - - ( दुग्धेश्वर के पास साभ्रमती पर ) पद्म० ६।१५० १ । पिप्पलतीर्थ - ( चक्रतीर्थ के पास गोदावरी पर) ब्रह्म ० ११०।१ एवं २२६ (यहाँ 'पिप्पलेश्वर' आया है ) । पिप्पलेश - ( नर्मदा के अन्तर्गत) मत्स्य० ११४।२५ । सम्भवतः यह पिप्पला ही है । पितामहसर --- ( यह पुष्कर ही है) (१) वन० ८९ | १६; (२) शल्य० ४२ । ३० ( सरस्वती का उद्गम स्थल ),, वन० ८४ । १४९ । पुरु--- (पर्वत) वन० ९०।२२ (जहाँ पुरूरवा गया था) । पुरूरवस्तीर्थ - - ( गोदावरी के अन्तर्गत) ब्रह्म० १०१।१ एवं १९-२० ( इसे सरस्वती-संगम एवं ब्रह्मतीर्थ भी कहते हैं) । पितामहती -- ( नर्मदा के अन्तर्गत) मत्स्य० १९४/४, पुरुषोत्तम -- ( उड़ीसा में जगन्नाथ या पुरी ) ब्रह्म० ( अध्याय ४२, ४८, ६८, १७७ एवं १७८); मत्स्य ० १३।३५, कूर्म ० २।३५।२७, नारदीय० २ ( अध्याय ५२-६१, जहाँ माहात्म्य वर्णित | देखिए इस ग्रन्थ का खण्ड ४, अध्याय १५ । पुलस्त्य - पुलहाश्रम - ( गण्डकी के उद्गम स्थल पर ) वराह० १४४।११३, भाग० ५।८।३० ( शालग्राम के पास) । पद्म० १।२१।४ । पिशाचेश्वर - ( वाराणसी के अन्तर्गत) लिंग ० ( ती० क०, पृ० ११४) । पिशाचमोचन कुण्ड -- ( वाराणसी के अन्तर्गत) कूर्म ० १।३३।२ एवं १३-१४, पद्म० १।३५।२ । पिशाचमोचन तीर्थ -- ( प्रयाग में) पद्म० ६।२५०/६२ ६३ । पिशाचिका - (ऋक्षवान् से निकली हुई नदी ) ब्रह्माण्ड० २।१३।३० । पीठ - ब्रह्माण्ड ० ( ४१४४/९३ १०० ) में ५० पीठों का वर्णन है, यथा --- नेपाल, एकवीरा, एकाम्र आदि । पुण्डरीक - (१) (कुब्जाम्रक के अन्तर्गत ) वराह० १२६।५७, पद्म० १।२६।७८; (२) (कुरुक्षेत्र के पास) वाम ० ८११७-८ । पुण्डरीका - ( पयोद नामक सर से निकली हुई नदी) ब्रह्माण्ड० २।१८।६९-७० । पुण्डरीकक्षेत्र - (आधुनिक पण्ढरपुर ) तीर्थसार ( पृ० ७-२१) । पुण्डरीकमहातीर्थ - (यहाँ श्राद्ध अत्यन्त पुण्यदायक होता है) ब्रह्माण्ड ० ३।१३।५६, वायु० ७७।५५ । पुण्डरीकपुर-- मत्स्य ० २२।७७, नारदीय ० २०७३।४५ । Jain Education International १४५५ पुष्पस्थल - - ( मथुरा के पाँच स्थलों में एक) वराह० १६०।२१ । पुनः पुना --- ( गया के अन्तर्गत एक नदी, आधुनिक पुनपुना ) वायु० १०८ ७३, नारदीय० २/४७/७५ ॥ पुनरावर्तनन्दा -- (नदी) अनु० २५|४५ । पुत्रतीयं - ( गोदावरी के अन्तर्गत ) ब्रह्म एवं ९३७ । पुराणेश्वर-- ( वाराणसी के अन्तर्गत ) स्कन्द ० ४ |३३| १३२ । १२४।१ पुलहाश्रम -- भाग ० ७ १४/३०, १०१७९/१० ( गोमती एवं गण्डकी के पास इसे शालग्राम भी कहा जाता है) । पुलस्त्येश्वर - ( वाराणसी के अन्तर्गत) लिंग० (ती० क०, पृ० ११६) । पुष्कर - (१) अजमेर से ६ मील दूर एक नगर, झील एवं तीर्थयात्रा का स्थल ) बहुत कम पाये जाने वाले ब्रह्मा के मन्दिरों में एक मन्दिर यहाँ पर है । ज्येष्ठ, मध्यम एवं कनिष्ठ नामक तीन कुण्ड यहाँ हैं ( नारदीय० २०७१।१२, पद्म० ५।२८।५३) । उषवदात के नासिक शिलालेख ( संख्या १०) में इन कुण्डों पर उसके द्वारा दिये गये दानों का उल्लेख है (बम्बई गजे ०, जिल्द १६, पृष्ठ ५७० ) । वायु० ७७१४०, कूर्म ० २|२०१३४ | वि० ६० सू० (८५1१-३) में For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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