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________________ धर्मशास्त्र का इतिहास ७।६२।१३, भाग० ९|१०| ३६ | यह फैजाबाद से नहुषेश्वर - ( वाराणसी के अन्तर्गत) लिंग० (ती० क०, ८ मील दक्षिण अवघ में नन्दगाँव है । १४४८ नन्दिनी - (नदी) वन० ८४ । १५५, पद्म० १।३८।६२ । नन्दिनी - संगम - ( गोदावरी के अन्तर्गत ) ब्रह्म० १२८/१ एवं ७३-७४ । नन्दिपर्वत - ( कश्मीर में ) ह० चि० ४।३० एवं ३२ ( हेमकूट- गंगा के पास ) । नन्दीश -- ( कश्मीर में शिव नन्दिकोल में पूजित होते हैं, किन्तु विस्तृत अर्थ में यह हरमुकुट की झीलों से नीचे भूतेश्वर तक की भूमि का द्योतक है) राजतरंगिणी १।१२४ । नन्दीतट-- ( गोदावरी के अन्तर्गत ) ब्रह्म० १५२।१ एवं ४ (इसे आनन्द भी कहा जाता है) । नन्दितीर्थ -- ( नर्मदा के अन्तर्गत) मत्स्य ० १९१।३७, कूर्म २०४१ ९०, पद्म १।१८।३७ । C नन्दीशेश्वर - - ( वाराणसी के अन्तर्गत) लिंग० (ती० क०, पृ० ५७) । नरक - (१) वन० ८३।१६८ ( कुछ पाण्डुलिपियों में 'अनरक' और कुछ में 'नरक' आया है); (२) (नर्मदा के अन्तर्गत ) पद्म० १।१८।३६, २०११-२ । नरसिंहाश्रम -- ( कश्मीर में ) नीलमत० १५२० । नलिनी -- (१) ( पूर्व की ओर बहती हुई गंगा की तीन धाराएँ) वायु० ४७।३८ एवं ५६, मत्स्य० १२१ । ४०, रामा० १।४३।१३; (२) (कश्मीर की एक नदी ) ह० चि० १४ । १०१ । नर्मदा -- देखिए इस ग्रन्थ का खण्ड ४, अध्याय १५ । नर्मदा - एरण्डीसंगम तीर्थप्रकाश ( पृ० ३८३) । नर्मदाप्रभव- तीर्थप्रकाश, पृ० ३८३, पद्म० १|३९|९; वन० (८५१९) में आया है-- 'शोणस्य नर्मदायाश्च प्रभेदे ।' नर्मदेश -- ( नर्मदा के अन्तर्गत) मत्स्य० १९१।७३, पद्म० १।१८।६९ । नर्मदेश्वर-- ( नर्मदा के अन्तर्गत) मत्स्य० १९४ । २ । नलकूबरेश्वर - ( वाराणसी के अन्तर्गत) लिंग० (ती० क०, पृ० १०३ ) । Jain Education International पृ० ११५) । नाकुलेश्वर तीर्थ -- ( लकुलीशतीर्थ ?) मत्स्य० २२|७७, वाम० ७।२६ ( नर्मदा पर नाकुलेश्वर, जहाँ च्यवन ने स्नान किया था)। नागधन्वा -- (सरस्वती के अनतिदूर दक्षिण) शल्य० 1 ३७।३० ( यहाँ वासुकि की प्रतिमा स्थापित नागकूट - - ( गयाशिर के अन्तर्गत सम्मिलित ) वायु ० १११।२२, नारदीय० २।४५।९५ । नागपुर -- ( हस्तिनापुर ) वन० १८३ | ३६ | नागसाह्व-- (गंगा के दाहिने किनारे पर हस्तिनापुर, जो मेरठ से २२ मील उत्तर-पूर्व है) वायु० ७७।२७१, मत्स्य० ५०७८, नृसिंह० ६५।११ ( ती० क०, पृ० २५२, यहाँ विष्णु का गुह्य नाम गोविन्द है) । और देखिए 'हस्तिनापुर' | नागतीर्थ - - ( १ ) ( वाराणसी के अन्तर्गत) मत्स्य० २२/२३, कूर्म ० १ ३५।७, पद्म० १।२८।३३; (२) ( गोदावरी के अन्तर्गत ) ब्रह्म० ११११ ; (३) ( त्रिपुष्कर के अन्तर्गत ) पद्म० ५।२६।५१; (४) ( मथुरा के अन्तर्गत ) वराह० १५४ | १४; (इसका स्थान अनिश्चित है ) वन० ८४ । ३३ । नागभेद --- ( अन्य स्थानों पर अन्तर्हित किन्तु यहाँ पर सरस्वती प्रकट हुई है) वन० ८२।११२, अग्नि० १०९।१३ । (५) नागेश्वर - ( नर्मदा पर एक तपोवन) मत्स्य० १९१| ८३ । नावेश्वर - (१) (वाराणसी के अन्तर्गत ) लिंग ० ( ती० क०, पृ० १२७) । ( २ ) ( सम्भवतः यह बिन्दुसर है ) नारदीय० १११६।४६ ( हिमवान् पर जहाँ भगीरथ ने तप किया था ) । नाभि -- ( गया के अन्तर्गत ) नारदीय० २।४७।८२ । नारदकुण्ड -- (लोहार्गल के अन्तर्गत ) वराह० १५१ । ३७॥ नारवतीर्थ - ( नर्मदा के अन्तर्गत) कूर्म० २।४१।१६१७, पद्म० १।१८।२३ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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