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'दायभाग' के अनुसार गोत्रजों और बन्धुओं के वंशवृक्ष
६२७ पितामह के पौत्र के पश्चात् तथा प्रपितामह की पुत्री के पुत्र को पूर्वज के पौत्र के पश्चात् ही उत्तराधिकारी घोषित किया है।३५ (१)
प्रपितामह
पितामह
प्रपितृव्य (चचेरे पितामह, पितामह के भ्राता)
पिता
पितृव्य (चाचा)
स्वामी
नाता
(२)
प्रपितामह
पितामह
बहिन
भ्राता
पुत्र
पिता बहिन
भ्राता
पुत्र
भ्राता स्वामी बहिन पत्र
पुत्र
३५. किंतु पितुरपि प्रपौत्रपर्यन्ताभावे पितृदौहित्रस्याधिकारो बोद्धव्यो धनिदौहित्रस्येव । एवं पितामहप्रपिता
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