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________________ रायादों को भाग-कल्पना ८७५ - - मान लीजिये क, ख, ग, घ, ड., च, छ, ज, झ, ञ का एक संयुक्त परिवार है और क, ख, ग, घ विभाजन किये बिना ही मर जाते हैं; ख का ड. नामक पुत्र, ग का च एवं छ नामक पुत्र और ध के ज, झ एवं आ नामक पुत्र बच रहते हैं। यदि ड., च, छ, ज, झ, ञ विभाजन की मांग करें तो इन छः व्यक्तियों में प्रत्येक को छठा भाग नहीं मिलेगा, बल्कि विभाजन उनके पिताओं द्वारा होगा, अर्थात ड. को जो ड. 11 ख का अकेला पुत्र है, एक-तिहाई भाग मिलेगा, च एवं छ (जो ग के पुत्र हैं) छ ज झ ञ को एक-तिहाई (अर्थात् प्रत्येक को एक छठा भाग) मिलेगा और ज झ एवं आ को एक-तिहाई (अर्थात प्रत्येक को एक-नयाँ भाग) मिलेगा। यही बात नबो होगी जब क, ख, ग मर जायेंगे और घ तथा ड., च, छ, ज, झ एवं बच रहेंगे। तब घ को, जो ड., च, छका चाचा है, अपने पत्नों ज, झ एवं के साथ केवल एक-तिहाई ही मिलेगा। एक अन्य उदाहरण लीजिये-- ____क (मृत) ग (मृत) घ (मृत) ड. (मृत) च (मृत) (मृत) ! । ज (मृत) य मान बीजिये एक संयुक्त परिवार का स्वामी क मर जाता है और उसका पुत्र ख, दो पौन ग, एवं म,, तीन पौत्र च,, च, एवं च, तथा एक प्रपौत्र अ बच रहते हैं। यहाँ ञ कोई दायब नहीं मांग सकता, क्योंकि वह अपने एकसमान पूर्वज क से, जो मत हो चुका है, चौथो पोड़ी के बाद का है। अतः संयुक्त सम्पत्ति तीन भागों में बंटेगी; ख को एक-तिहाई मिलेगा, ग, एवं गर को मिलकर एक-तिहाई मिलेगा और च,, च, एवं च, को मिलकर एक-तिहाई मिलेगा। एक उदाहरण और देखिये-- क (मृत) मान लीजिये एक संयुक्त परिवार का स्वामी क मर जाता हैं और उसके पीछे ख, ग, घ एव ड.नामक चार पत्र, ख,, ख, एवं ख, तथा ग, एवं घ, नामक पांच पौत्र बच रहते हैं । और मान लीजिये कि आगे चलकर व मर जाता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002790
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size12 MB
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