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________________ ७४६ धर्मशास्त्र का इतिहास २४३-२४४) ने वसिष्ठ द्वारा यातुधान (राक्षस या एंन्द्रजालिक) कहे जाने तथा सप्त ऋषियों द्वारा कमल-सून चुराने का अपराध लगाये जाने पर शपथ लेने की बात कही है।१८ इस विषय में और देखिए मनु (८1११०),जहाँ उन्होंने पिजवन के पुत्र सुदास के समक्ष वसिष्ठ द्वारा शपथ लेने को चर्चा की है। वसिष्ठ पर विश्वामित्र द्वारा यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने सौ पुत्रों को खा डाला था। देखिए नारद (४।२४३) और मनु (८।११०), जहाँ ऋग्वेद (७११०४। १५-१६) का हवाला दिया गया है। मन (८1११३) एवं नारद (R) ने जातियों के अनरूप विभिन्न शपथों की ओर संकेत किया है। अपनी स्त्रियों एवं पुत्रों के सिर पर हाथ रखकर भी शपथ लेने की विधि थी (मनु ८।११४)। सत्य का सहारा लेकर शपथ लेने की चर्चा पाणिनि (५।४।६६, सत्याद् अशपथे) ने भी की है । नारद (४।२४६) ने गम्भीर अपराधों में दिव्यों का तथा कम महत्त्व वाले विवादों में शपथों का उल्लेख किया है। नारद (४१२४८)ने किया है--जैसा कि मनु ने कहा है, शपथ की घोषणा सत्य, अश्वों, हथियारों, पशुओं, अन्नों, सोना, देव-पादों, पूर्वपुरुषों, दान एवं सद्गुणों के नाम से की जाती है। बृहस्पति ने मनु एवं नारद की बात मान ली है और कहा है कि ये शपथ अर्थमूल एवं हिंसामूल (सिविल एवं क्रिमिनल) छोटे-छोटे विवादों में प्रयुक्त होती हैं । इस विषय में और देखिए विष्णुधर्मसूत्र (६।५-१० एवं ६।११-१२), मनु (८1१११) एवं याज्ञ० (२।२३६) । ___ आपस्तम्बधर्मसूत्र (२।५।११।२) ने कहा है कि जब सन्देह उत्पन्न हो जाय तो अपराधी राजा द्वारा दण्डित नहीं होना चाहिए। इसी को आजकल 'सन्देह का लाभ' (बेनिफिट आव डाउट) कहते हैं। स्पष्ट है, यह सुन्दर उक्ति ईसा के जन्म के शताब्दियों पूर्व घोषित हुई थी।१६ १८. अनुशासनपर्व (६५।१३-३५) में आया है कि सात ऋषियों ने एक-दूसरे को कमल-सूत्र चुराने का अपराध लगाया और सभी ने बारी-बारी से शपथ ली। अहल्या के विषय में अपने को निर्दोष सिद्ध करने के लिए इन्द्र ने भी शपथ ली थी। १६. न च सन्देहे दण्डं कुर्यात् । आपस्तम्बधर्मसूत्र (२।५।११।२) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002790
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size12 MB
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